Definition of Section 12 of the Prevention of Corruption Act, 1988
आपने अक्सर सुना होगा। आत्महत्या के लिए उकसाना एक गंभीर अपराध होता है। ठीक इसी प्रकार रिश्वत देने के लिए उकसाना भी गंभीर अपराध होता है। सरकारी दफ्तरों में अक्सर इस तरह के अपराध देखे जाते हैं।
अधिकारी आपकी फाइल खोलकर भी नहीं देखता। फिर कोई दलाल आपको रिश्वत के लिए उकसाता है। आप को मजबूर कर दिया जाता है कि बिना रिश्वत के आपका काम नहीं हो सकता। ऐसी स्थिति में रिश्वत लेने वाला कर्मचारी अथवा अधिकारी तो दोषी होगा ही लेकिन आपको रिश्वत के लिए उकसाने वाला व्यक्ति भी बराबर का दोषी होगा।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 12 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति या लोकसेवक किसी लोकसेवक को रिश्वत देने या लेने के लिए उकसाता हैं या किसी काम या वैध कार्यवाही करने में व्यक्ति को इतना मजबूर कर ले कि वह घूस देने के लिए मजबूर हो जाए तब रिश्वत का दुष्परेण करने वाला व्यक्ति अधिनियम की धारा -12 के अंतर्गत दोषी होगा।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 12 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान
यह अपराध असंज्ञेय एवं अजमानतीय होंगे इनकी सुनवाई(विचारण का अधिकार राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किसी विशेष न्यायाधीश के द्वारा किया जाएगा। (अन्य व्यक्ति के लिए प्रथम वर्ग के मजिस्ट्रेट) , सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम सात वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
नोट:- इस धारा में रिश्वत या घूस के लिए उकसाना मात्र भी अपराध होगा अर्थात व्यक्ति द्वारा रिश्वत चाहे दी भी नहीं गई हो। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)