इंदौर। देवी अहिल्याबाई यूनिवर्सिटी (DAVV) में M.ed पाठ्यक्रम का खराब रिजल्ट आने से प्रवेश पर बुरा असर पड़ा है। एमएड का रिजल्ट लगातार बिगड़ रहा है। 2016 में जहां 15 प्रतिशत छात्र-छात्राएं पास हुए थे। मगर 2021 की परीक्षा के रिजल्ट में सिर्फ 8 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए है।
राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) से मान्यता प्राप्त कोर्स में प्रवेश को लेकर तीन चरण की काउंसलिंग हो चुकी है। बावजूद इसके एमएड पाठ्यक्रम में 55 फीसद सीटें अभी खाली है। इसके चलते कालेजों की चिंताएं बढ़ने लगी है। वहीं 200 किमी दूर वाले कालेज मिलने से विद्यार्थी सीट आवंटन होने के बावजूद प्रवेश लेने में रूचि नहीं दिखा रहे है। M.ed पाठ्यक्रम में खराब रिजल्ट पर कालेजों का आरोप है कि विश्वविद्यालय मूल्यांकन तय नियम पर नहीं करता है। रिजल्ट का प्रतिशत में गिरावट की वजह से कुछ कालेजों ने एमएड पाठ्यक्रम हटा दिया है। इसकी वजह से सीटें भी कम हुई है।
एमएड की 3350 में से 1512 सीटों पर प्रवेश हो चुका है। जबकि अभी तक तीन चरण की काउंसलिंग खत्म हो चुकी है। अभी 1838 सीटों पर प्रवेश होना है, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग ने काउंसलिंग का सिर्फ एक अतिरिक्त चरण दिया है। इसमें एमएड की 55 फीसद सीट भरना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि 2 जुलाई तक नए पंजीयन हो सकेंगे। अकेले इंदौर जिले में आने वाले सात कालेजों में एमएड पाठ्यक्रम संचालित होता है। जहां 400 में से 229 सीटें खाली है। इन कालेजों में 42 फीसद सीटों पर प्रवेश हुआ है।
अशासकीय शिक्षा महाविद्यालय संघ के अध्यक्ष अभय पांडे और कविता कासलीवाल का कहना है कि एमएड पाठ्यक्रम की सीटों को देखते हुए विभाग को एक और अतिरिक्त चरण की काउंसलिंग की अनुमति मांगी है। ताकि शत-प्रतिशत सीटों पर प्रवेश हो सके। रवि भदौरिया व अवधेश दवे ने बताया कि संघ ने उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव से संपर्क किया। अगले सप्ताह प्रवेश प्रक्रिया से जुड़े मुद्दें पर चर्चा की जाएगी।