एक नया सवाल पूरी दुनिया में वायरल हो रहा है। मुर्गी का अंडा मांसाहारी माना जाता है तो फिर गाय का दूध शाकाहारी क्यों माना जाता है। दावा किया जा रहा है कि दूध गाय या भैंस के शरीर के भीतर से निकलता है इसलिए मांसाहारी होता है। बताया जा रहा है कि प्राचीन काल में दूध को WHITE BLOOD यानी सफेद खून कहा जाता था। इस हिसाब से भी दूध मांसाहारी हुआ। आइए जानते हैं दूध शाकाहारी है या मांसाहारी।
इस तथ्य को लेकर दुनिया भर में काफी बहस चल रही है और शाकाहार का समर्थन करने वाले वैज्ञानिकों ने खोज करके बताया है कि दूध में कैल्शियम, प्रोटीन, आयोडीन, पोटेशियम, फास्फोरस एवं विटामिन B2 B12 होते हैं। यह सारे ऐसे तत्व जो मांसाहार का हिस्सा नहीं होते बल्कि शाकाहार में अनिवार्य रूप से पाए जाते हैं। इन्हीं तत्वों के कारण किसी भी प्रोडक्ट को शाकाहारी माना जाता है।
अपन इस सवाल के जवाब के लिए लॉजिक का उपयोग करेंगे। यह बात बिल्कुल सही है कि दूध एक जीवित प्राणी से निकलता है। वैज्ञानिकों ने साबित कर दिया कि वह खून का हिस्सा नहीं होता। यह नोट करने वाली बात है कि पेड़ पौधे भी सांस लेते हैं, जीवित होते हैं। ऊपरवाले लॉजिक के हिसाब से फल और सब्जियां भी मांसाहारी मानी जानी चाहिए। दरअसल शाकाहार और मांसाहार के बीच में अंतर को समझना जरूरी है।
शाकाहार और मांसाहार के बीच में अंतर
मांसाहार उसे कहते हैं जिसमें जीवन के अलावा जन्म की प्रक्रिया होती है। मुर्गी के अंडे से एक नए जीव का जन्म होता है। शेष सभी प्रकार के नॉनवेज किसी जीवित प्राणी की हत्या करके तैयार किए जाते हैं। जबकि दूध से कोई नया जीव जन्म नहीं लेता बल्कि जीवित प्राणियों को बल प्राप्त होता है। यानी शाकाहार और मांसाहार हिंसा का अंतर है।
किसी प्राणी को जन्म लेने से रोकना या फिर जीवित प्राणी की हत्या करके उसका भोजन करना मांसाहार है। दूसरी तरफ किसी जीवित प्राणी से कुछ ऐसा प्राप्त करना, जो उसके जीवन के लिए खतरा नहीं है। किसी की प्राकृतिक मृत्यु के अधिकार का हनन नहीं है तो वह शाकाहार है।
पृथ्वी पर प्राकृतिक जन्म एवं मृत्यु सभी वनस्पति एवं प्राणियों का अधिकार है। इस प्रक्रिया को रोकना हिंसा है और अपने भोजन के लिए ऐसा करना मांसाहार।