आसमान में बादल होते हैं और बादल से बारिश होती है। बारिश की बूंदे जब जमीन पर आती है तो हम सबको दिखाई देती हैं। वह ट्रांसपेरेंट होती हैं। उनका अपना कोई रंग नहीं होता। सवाल यह है कि जब बरसात के पानी का कोई रंग नहीं होता तो फिर बारिश वाले बादल काले रंग के क्यों दिखाई देते हैं।
अपन सभी जानते हैं कि किसी भी वस्तु के रंग का सीधा संबंध प्रकाश से होता है। सूर्य, हमारे सौरमंडल में प्रकाश का एकमात्र स्त्रोत है। जब कोई वस्तु सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आती है तो वह जिस रंग को अवशोषित कर लेती है वह वस्तु उसी रंग की दिखाई देती है, लेकिन बादलों के मामले में ऐसा नहीं है। बारिश वाले बादलों के मामले में प्रकाश के परावर्तन अथवा प्रकाश के अवशोषण का नहीं बल्कि प्रकाश के अवरोध का सिद्धांत काम करता है।
जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य ग्रहण पड़ता है। उस समय पृथ्वी पर अंधेरा छा जाता है और सूरज काला दिखाई देता है। यह बिल्कुल वैसा ही है। जब बर्फ के छोटे-छोटे कण एक दूसरे से चिपकते जाते हैं और उनका घनत्व बढ़ता जाता है। तब सूर्य की किरणें उन्हें पारकर के पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाती। इसके कारण हमें बादल काले दिखाई देते हैं। एक प्रकार से बारिश वाले बादल पृथ्वी के एक विशेष हिस्से पर ग्रहण लगा देते हैं और ग्रहण काल में ही बारिश करते हैं।