अधिकार-पृच्छा का अर्थ होता है 'आपका अधिकार, क्या है? अर्थात हाईकोर्ट ऐसे व्यक्ति के खिलाफ यह रिट (अधिकार पृच्छा रिट( Quo- Warranto; क्वो वारंटो)) जारी करता है जिसने अवैध योग्यता के कारण कोई सार्वजनिक पद या लोकपद धारण किया है। जानिए क्या होता है लोक-पद।
भारतीय संविधान अधिनियम, 1950 के अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालय की रिट याचिका अधिकार-पृच्छा, की परिभाषा
निम्न लोकपद या सार्वजनिक पद धारण करने वाले व्यक्ति के खिलाफ यह रिट जारी की जाती है:-
1. कोई स्पीकर का पद।
2. महाधिवक्ता का पद।
3. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का पद।
4. कोई राज्यमंत्री, नगर पालिका परिषद सदस्य, ग्राम पंचायतों के सरपंच, प्रधान का पद आदि।
ऐसे पदों को किसी व्यक्ति ने अवैध रूप से धारण कर लिया हो तब कोई भी व्यक्ति चाहे वह उस से पीड़ित हो या न हो तब अधिकार-पृच्छा रिट याचिका लगा सकता है।
अधिकार-पृच्छा रिट कब नहीं लगाई जा सकती है जानिए:-
1.ऐसी नियुक्तियां या स्थानांतरण जो विधि के अनुसार नहीं किया गया हो।
2. ऐसा पद जो निजी स्वरूप का हो।
3. किसी मंत्री ने अपने पद एवं गोपनीयता की शपथ तोड़ी हो।
उधारानुसार वाद हरपाल सिंह बनाम स्टेट राजस्थान
उक्त मामले में पंचायत समिति के प्रधान पद पर ऐसा व्यक्ति था जो किसी अपराध में लिप्त था एवं प्रधान चुनाव लड़ना के लिए अयोग्य था फिर भी वह चुनाव लड़ा एवं चुन लिया गया ऐसे लोकपद धारण करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध अधिकार पृच्छा रिट जारी की जा सकती है।
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:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665