कोरोना के बाद दुनिया में बहुत कुछ बदल गया है। लोगों में घबराहट और गुस्सा दोनों बढ़ गए हैं। मनोचिकित्सा डा. सरांग पंडित का कहना है कि गुस्सा करना स्वास्थ्य के लिए भी बहुत हानिकारक है। इसके कारण ना केवल सिर दर्द, ब्लड प्रेशर, लकवा और ब्रेन हेमरेज का खतरा बन जाता है बल्कि गुस्सा करने वाले लोग सर्वाइकल स्पान्डिलाइटिस का शिकार हो जाते हैं। उनकी अपनी जिंदगी नरक बन जाती है।
लोग यदि भड़ास नहीं निकाल पाते, हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है
मनोचिकित्सा डा. सरांग पंडित ने का कहना है कि इन दिनों हर कोई गुस्सा करने लगा है। शांत स्वभाव वाले लोग अब बहुत कम दिखाई देते हैं। गुस्से की स्थिति में शरीर में एड्रलीन नामक जहरीला टाक्सिन निकालकर पूरे बाडी में फैलता है। इससे कई बीमारियां पैदा होती है। पुरुष अक्सर गुस्सा शेयर नहीं कर पाते है, जिसके कारण उन्हे सोशल, मेंटल, फिजिकल परेशानियां हो जाती हैं। लंबे समय तक गुस्से में रहने पर पुरुषों को दिल का दौरा पड़ सकता है।
गुस्से को कम करने के लिए मनोचिकित्सा सबसे सही चुनाव
गुस्सा करना लोगाें की दिनचर्या में शामिल हो गया है। कुछ इससे निजात पाने लोगों को मनोचिकित्सा की जरुरत होती है। जो लंबे से समय तक उदास रहते हैं। चिंतित या नाराज रहते हैं। अन्य लोगों को अल्पकलिक समस्याएं भी हो सकती हैं। मानसिक बीमारी को गंभीरता से देखते हुए ठीक होने का समय अलग-अलग होता है। विशेषज्ञ से निरंतर बातचीत मनोचिकित्सा है। इस उपचार से लाभ मिल सकता है।
यह लक्षण दिखे तो समझो गुस्सा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो गया
- लंबे समय तक दुखद भावना महसूस करते है।
- सभी प्रयासों, परिवार और दोस्तों से मदद के बावदजूद बेहतर नहीं लगना।
- अत्यधिक शराब पीना, ड्रग्स का उपयोग करना आक्रमक होना, और दूसरों को नुकसान पहुंचाना।
- काम, असाइनमेंट पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल होता है।
- रोजमर्रा की गतिविधियों का पूरा करना मुश्किल होता है।