भोपाल। मध्यप्रदेश में आर्य समाज मंदिरों का मतलब इंटरकास्ट और लव मैरिज कराने वाली संस्था का नाम है। ऐसे सभी प्रेमी युगल के लिए बुरी खबर है जो आर्य समाज मंदिरों से लव मैरिज करने की प्लानिंग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी विवाह प्रमाण पत्र की मान्यता समाप्त कर दी है। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि आर्य समाज का काम विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं है, ये काम सक्षम प्राधिकरण ही करते हैं।
आर्य समाज मंदिर- नया विवाद पढ़िए
प्रेम विवाह के एक मामले में लड़की के घरवालों ने लड़की को नाबालिग बताते हुए उसके अपहरण और रेप की एफआईआर दर्ज करा रखी है। वहीं आरोपी युवक का कहना था कि लड़की बालिग है और उसने अपनी मर्जी विवाह का फैसला किया है। युवक ने आर्य समाज मंदिर में शादी होने की बात कहते हुए मध्य भारतीय आर्य प्रतिनिधि सभा की ओर से जारी विवाह प्रमाण पत्र कोर्ट में पेश किया। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अमान्य घोषित कर दिया।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित कर दिया था
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी आर्य समाज संगठन के मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा को एसएमए की धारा 5, 6, 7 और 8 के प्रावधानों को शामिल करते हुए, अपने दिशानिर्देशों में एक महीने के समय में संशोधन करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन इस फैसले के खिलाफ प्रतिनिधि सभा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती प्रस्तुत की और सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश का पालन स्थगित कर दिया था।