किशोर न्याय (बालकों की देख-रेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 किशोरी बालक के सम्पूर्ण संरक्षण करने के लिए बनाया गया एक महत्वपूर्ण अधिनियम हैं जिसमे सभी प्रकार के बालकों की सुरक्षा एवं संरक्षण किया जाता है, अगर कोई बालक निःशक्त हैं और किसी भी प्रकार का अत्याचार उस पर किया जाता है तब अत्याचार करने वाले व्यक्ति को क्या दण्ड का प्रावधान होगा जानिए।
किशोर न्याय(बालकों की देख रेख एवं संरक्षण) अधिनियम,2015 की धारा 85 की परिभाषा
ऐसा कोई किशोर बालक जो किसी डॉक्टर द्वारा या मेडिकल परीक्षण द्वारा निःशक्त प्रमाणित किया हो, तब ऐसे बालक को कोई शारीरिक दण्ड देगा, भीख मंगवाएगा, नशीले पदार्थ का सेवन कराएगा, शराब की दुकान या बियर-बार में काम करवाएगा, शोषण करेगा आदि तब ऐसे व्यक्ति को धार 85 के अंतर्गत दोषी ठहराया जाएगा।
दण्ड का प्रावधान:- यह अपराध पूर्ण तरह संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध हैं, इस अपराध की सुनवाई प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। सजा इस अपराध के लिए सामान्य बालक पर अत्याचार करने पर जो दण्ड का प्रावधान हैं उसके दण्ड से दुगना दण्ड दिया जाएगा।
"अर्थात बाल कर्मचारी के शोषण करने पर पांच वर्ष की कारावास एवं एक लाख रुपए के जुर्माने से दण्डित किया जाता है अगर यही अपराध निःशक्त बाल कर्मचारी के साथ किया जाए तो अधिकतम दस वर्ष की कारावास और दो लाख रुपए का दंड का प्रावधान होगा।,, Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665