नाबालिग बच्चों की जानकारी सार्वजनिक करने वाले को क्या सजा मिलती है, जानिए- JJ act, 2015

Juvenile justice act 2015 section 74

कई बार आम नागरिक, एक्टिविस्ट, नेता और पत्रकार अति उत्साह में आकर किसी अपराध से पीड़ित, किसी आपराधिक गतिविधि के गवाह, अपराधी, निर्धनता के कारण भीख मांग रहे, अज्ञानता के कारण नशा कर रहे नाबालिग बच्चों की जानकारी सार्वजनिक कर देते हैं। इस प्रकार से वह एक अपराध कर रहे होते हैं। आइए हम बताते हैं कि किस कानून के तहत किसी बच्चे की जानकारी किसी भी माध्यम से सार्वजनिक करना अपराध है और ऐसे अपराध के लिए क्या दंड प्रावधान है। 

किशोर न्याय (बालकों की देख रेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 74 की परिभाषा

कोई भी व्यक्ति किसी अपराध से पीड़ित नाबालिग, किसी अपराध के साक्षी नाबालिग, किसी अपराध को करने वाले नाबालिग बच्चे की पहचान को किसी समाचार पत्र, पत्रिका, वीडियो-ऑडियो के माध्यम से उसकी पहचान, चित्र, या उसके स्कूल या निवास का नाम न सार्वजनिक करेगा न ही प्रकट करेगा लेकिन किन्ही परिस्थितियों जाँच करने वाला बोर्ड बच्चे के हित के लिए आवश्यक हो और आज्ञा (अनुमति) देता है तब शर्तो के अनुसार सार्वजनिक किया जा सकता है, अन्यथा नहीं।

दण्ड का प्रावधान:- अधिनियम की धारा 74 की उपधारा 3 के अनुसार कोई व्यक्ति अगर किसी नाबालिग की पहचान सार्वजनिक करता है या धारा जूविनाइल जस्टिस एक्ट 74 (1) का उल्लंघन करता है तब छः माह की कारावास या दो लाख रुपए जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

विशेष नोट:- धारा 74 की उपधारा (2) के अनुसार पुलिस चरित्र प्रमाण पत्र के प्रायोजन में बालक के ऐसे अभिलेख का ज़िक्र नहीं करेगी जिस मामले का निपटारा हो गया है एवं अब मामला बंद हो गया है। 【नाबालिग बालक या किशोरी बालक का तात्पर्य 18 वर्ष से कम आयु के लड़का/लड़की दोनो से है।】। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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