भारत में तीन प्रकार के बच्चे भीख मांगते हैं। 1. अनाथ यानी लावारिस। 2. निर्धन माता-पिता के साथ। 3. किसी अपराधी के चंगुल में फंसे हुए बच्चे। सभी जानते हैं कि तीनों ही अपराध की श्रेणी में आते हैं। आइए जानते हैं कि किस प्रकार के अपराध के लिए क्या दंड प्रावधान किया गया है।
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 76 की परिभाषा
1. कोई भी व्यक्ति किशोर बालकों को भीख मांगने के उद्देश्य से नियोजित करता है या किशोर से भीख मंगवाएगा या भीख मंगवाने के लिए दुष्प्रेरण (उकसाना) मात्र करेगा तब ऐसे नियोजक (स्वामी जिसमे माता पिता या कोई भी संरक्षक भी हो सकता है) को पाँच वर्ष की कारावास एवं एक लाख रुपए के जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
लेकिन अगर कोई नियोजक किसी किशोर बालक के अंग-विच्छेद करता है अर्थात किसी भी प्रकार से विकलांग करके भीख मंगवाएगा जैसे आँखे फोड़ देना, हाथ या पाव की उंगली काट देना आदि तब ऐसे संरक्षक को अधिकतम दस वर्षों की कारावास एवं पांच लाख रुपये के जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
विशेष नोट:- अगर बालक अपनी मर्जी से भीख मांगता है या किसी संरक्षक, भारसाधन के नियंत्रण से हट जाता है तब ऐसे बालक को जिला बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। जहां राज्य सरकार उसके पुनर्वास के लिए प्रबंध करेगी। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665