भारत में शांतिपूर्वक प्रदर्शन एवं आंदोलन करने का अधिकार सभी को प्राप्त है परंतु कुछ लोग ऐसे प्रदर्शन में उपद्रव की साजिश करते हैं और पत्थरबाजी करने या लाठीचार्ज के समय पुलिस के सामने खड़ा करने के लिए 18 वर्ष से कम उम्र के लड़के लड़कियों को शामिल कर लेते हैं। पॉलीटिकल लीडर्स अपनी रैली अथवा आम सभा में भीड़ दिखाने के लिए बच्चों को शामिल कर लेते हैं। हम आपको बताते हैं कि ऐसा करना कितना गंभीर अपराध है।
किशोर न्याय (बालकों की देख रेख एवं संरक्षण) अधिनियम,2015 की धारा 83 की परिभाषा
1. कोई भी गैर मान्यता प्राप्त उग्र समूह या पार्टी (दल) किसी बालक को आंदोलन करने के लिए भर्ती करता है या उसका उपयोग करता है तब ऐसे दल का उग्र समूह पर पाँच लाख रुपये जुर्माना एवं दल के प्रत्येक प्रतिनिधि को सात वर्ष की कारावास से दण्डित किया जाएगा।
2. कोई भी वयस्क व्यक्ति अन्य बिना उग्र समूह किसी बालक को अपनी गैंग में अवैध कार्य करवाने के लिए शामिल मात्र करेगा तब ऐसे व्यक्ति को अधिकतम सात वर्ष की कारावास एवं पांच लाख रुपए के जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
विशेष नोट:- यह धारा उन गैर राजनीतिक समूह पर लागू होती जिनका उद्देश्य हिंसा एवं उग्रता फैलाना है एवं भीड़ को दिखाने के लिए छोटे छोटे बालको को अपने साथ समूह एवं दल में शामिल कर लेते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665