भारत में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को नाबालिग माना गया है। इनके संरक्षण के लिए किशोर न्याय अधिनियम बनाया गया है। जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि इनके पालक/ अभिभावक की जानकारी और मर्जी के बिना कोई व्यवहार नहीं किया जा सकता। आइए जानते हैं कि यदि कोई व्यक्ति नाबालिक लड़के लड़की को नशीला पदार्थ उपलब्ध कराता है, सेवन करने के लिए प्रेरित करता है, अथवा किसी अप्रत्यक्ष माध्यम से ऐसा करता है, तब ऐसे व्यक्ति के लिए क्या दंड का प्रावधान किया गया है।
किशोर न्याय (बालकों की देख-रेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 77 की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति स्वयं किसी बालक को लोक स्थान या सार्वजनिक स्थान में किसी भी प्रकार की मादक मदिरा, शराब, स्वापक ओषधि, गुटखा, तंबाकू उत्पाद या कोई मन: प्रभावी नशीला पदार्थ देगा या किसी से दिलवाएगा तब ऐसे व्यक्ति को अधिकतम सात वर्ष की कारावास एवं एक लाख रुपए के जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
विशेष नोट:- अगर कोई योग्य डॉक्टर की सलाह से किशोर बालक के हित में कोई ऐसे नशीली दवा दी गई है जो बालक के लिए उपयोगी साबित हो सकती थी, तब यह धारा लागू नहीं होगी। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665