ग्वालियर। स्टूडेंट यदि परीक्षा फॉर्म भरने में देरी कर दे तो लेट फीस ली जाती है लेकिन यदि यूनिवर्सिटी परीक्षा कराने में देरी कर दे तो स्टूडेंट्स को कोई मुआवजा नहीं मिलता। जीवाजी यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट का रवैया इतना घटिया है कि परीक्षा से पहले जरूरी इंतजाम भी नहीं किया जा सके। पहले टाइम टेबल घोषित कर दिया फिर देखा तो स्टेशनरी नहीं थी इसलिए परीक्षा की तारीख बढ़ा दी।
परीक्षा ना हुई मजाक हो गया। जीवाजी यूनिवर्सिटी की कार्यपरिषद और कुलपति को विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा की कतई चिंता नहीं है। दिनांक 13 जून से एमए, एमकाम, एमएससी की परीक्षा प्रारंभ होनी थी परंतु स्थगित कर दी गई। पता चला है कि यूनिवर्सिटी के स्टोर में उत्तर पुस्तिका ही नहीं है। एक उम्मीद है कि 20 जून तक उत्तर पुस्तिकाएं मिल जाएंगे इसलिए 21 जून से पेपर घोषित किए गए हैं। यदि डिलीवरी में गड़बड़ी हुई तो फिर से परीक्षा स्थगित कर देंगे। परीक्षा ना हुई, मजाक हो गया।
परीक्षा कोई अचानक होने वाला आयोजन नहीं है। किसी भी यूनिवर्सिटी का गठन परीक्षा कराने के लिए ही होता है। जीवाजी विश्वविद्यालय में दिसंबर के महीने से लेकर जुलाई तक लगातार परीक्षाएं चलती हैं। 1000000 उत्तर पुस्तिकाओं की जरूरत होती है। इस बार मैनेजमेंट ने खुद का तमाशा बना लिया। नवंबर के महीने में टेंडर जारी करने थे, नहीं किए (शायद मनचाहा कमीशन नहीं मिला होगा)। अप्रैल के महीने में टेंडर जारी किए, फिर कैंसिल कर दिए। फिर कार्यपरिषद की बैठक बुलाई। जिम्मेदारों पर कार्रवाई तो दूर की बात किसी पर जुर्माना भी नहीं लगाया।
मई के लास्ट वीक में टेंडर जारी किए और टाइम टेबल जारी करके जून के सेकंड वीक में परीक्षा घोषित कर दी। मजेदार बात यह है कि यूनिवर्सिटी ने ठेकेदार को वर्क आर्डर ही जारी नहीं किया। शायद इस बार भी मनचाहा कमीशन प्राप्त नहीं हो पाया है। परीक्षा की तारीख आगे बढ़ा दी गई है। समाचार लिखे जाने तक वर्क आर्डर जारी नहीं हुआ था।