पिछले लेख में हमने आपको प्रतिषेध याचिका के बारे में बताया था कि अगर कोई न्यायालय अपनी अधिकार क्षेत्र से अलग किसी मामले की सुनवाई प्रारंभ कर देता है तब ऐसी कार्यवाही को उच्च न्यायालय में प्रतिषेध याचिका द्वारा रुकवाया जा सकता है। आज हम आपको बताएंगे कि अगर कोर्ट ऐसे मामले की सुनवाई कर देता है जिसकी वह अधिकारिता नहीं रखता है एवं अपना निर्णय भी सुना देता है या कोई आदेश भी जारी कर देता है तब क्या कोर्ट के ऐसे आदेश, निर्णय, डिक्री आदि को रद्द कर सकता है जानिए।
भारतीय संविधान अधिनियम, 1950 के अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालय की रिट याचिका उत्प्रेषण, की परिभाषा
यदि कोई अधीनस्थ न्यायालय बिना अधिकारिता रखने वाले मामले की सुनवाई कर चुका है एवं निर्णय भी दे चुका है तब उत्प्रेषण रिट जारी कर उक्त कार्यवाही को रद्द किया जा सकता है, यह जारी करने के तीन आधार है:-
1. अधिकारिता के अभाव में दिया गया न्यायिक निर्णय।
2. विधि संबंधित भूल में दिया गया निर्णय।
3. निर्णय में वैधानिक गलती अर्थात अवैध निर्णय।
"उपर्युक्त निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में अनुच्छेद 226 के अंतर्गत उत्प्रेषण रिट याचिका लगाई जा सकती है।
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:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665