सरकारी कर्मचारी व्यापार करे तो ना सस्पेंड होते हैं ना नौकरी जाती है, केस हिस्ट्री यहां पढ़िए- MP karmchari news

भोपाल
। मध्य प्रदेश में कहा जाता है कि यदि शासकीय कर्मचारी ने व्यापार किया तो उसके खिलाफ मप्र सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के तहत कार्रवाई होगी। कानून की किताब में क्या लिखा है, यह बाद में पढ़ लेंगे। आज एक केस हिस्ट्री, स्टडी के लिए काफी है।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ग्राम हर्राखेड़ा के शासकीय माध्यमिक स्कूल में पदस्थ सरकारी टीचर दिलीप कुमार वर्मा की एक वेतन वृद्धि रोकी गई है। शिकायत के बाद जांच में पाया गया कि शासकीय शिक्षक दिलीप कुमार वर्मा इमरत देवी शिक्षा समिति में कोषाध्यक्ष है। एक प्राइवेट स्कूल का संचालन करते हैं। पार्टनरशिप डीड में 50% की पार्टनरशिप का स्पष्ट उल्लेख है। यह भी पाया गया कि उन्होंने एक संपत्ति का सौदा किया जिसकी जानकारी शासन को नहीं दी और संपत्ति के सौदे में स्वयं को सामाजिक कार्यकर्ता बताया। 

भोपाल के जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना का कहना है कि हमने पूरा मामला ज्वाइंट डायरेक्टर के पास भेज दिया था। वहीं से अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई है। इस प्रकार, प्रस्तुत मामला प्रमाणित करता है कि प्राइवेट स्कूल का संचालन करने वाले शासकीय कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती। वरिष्ठ अधिकारी नियमों को शिथिल करते हुए कर्मचारी को प्रतीकात्मक दंड भी दे सकते हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!