भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में सपा विधायक राजेश शुक्ला,बसपा विधायक संजीव कुशवाहा और निर्दलीय विधायक राणा विक्रम सिंह भाजपा में शामिल हो गए। सवाल स्वाभाविक है कि पंचायत और नगरपालिका चुनाव के बीच विधायकों का दल बदल क्यों हुआ। तीनों विधायक भाजपा को आज ही क्यों जरूरी थे।
दरअसल सारा खेल, पंचायत या नगर पालिका चुनाव का नहीं बल्कि राष्ट्रपति के चुनाव का है। रामनाथ कोविंद 24 जुलाई को अपना 05 साल का टर्म पूरा कर लेंगे। राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मध्यप्रदेश में एक विधायक के वोट की कीमत 131 नागरिक होती है। 3 विधायक शामिल करके भाजपा ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए 393 वोट सुरक्षित कर लिए हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में वोट की वैल्यू का फार्मूला
- सन 1971 में राज्य की कुल जनसंख्या/ राज्य में विधायकों की संख्या
- प्राप्त उत्तर में 1000 का भाग दिया जाएगा
- जो संख्या प्राप्त होगी वह राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू होगी
मध्यप्रदेश विधायक के वोट की कीमत
- सन 1971 में मध्य प्रदेश की जनसंख्या- 30,016,625
- सन 1971 में मध्य प्रदेश में विधायकों की संख्या- 230
- एक विधायक के वोट की कीमत- 130.507 यानी 131
वैसे मध्यप्रदेश में भाजपा विधायकों की संख्या, कांग्रेस के विधायकों की संख्या से बहुत अधिक है लेकिन पश्चिम बंगाल, दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे राज्यों में भाजपा विधायकों की संख्या पिछली बार की तुलना में कम हो गई है। उन राज्यों का घाटा पूरा करने के लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार वाले राज्यों में निर्दलीय विधायकों को भाजपा में शामिल किया जा रहा है।