भोपाल। बोलचाल के लिए कह सकते हैं कि मध्य प्रदेश के इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेजों के प्राचार्य एवं एचओडी का डिमोशन हो गया है। खबर यह है कि सोसाइटी से जुगाड़ लगाकर प्राचार्य और HOD बन बैठे कर्मचारियों को लग्जरी ऑफिस छोड़कर मूल पद पर वापस जाना पड़ेगा।
दरअसल, मध्यप्रदेश में इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक कॉलेजों की सभी संचालक सोसाइटी खत्म की जा रही है। सभी कॉलेज डायरेक्ट शासन के अधीन होंगे। सन 2004 से पहले भी ऐसा ही था। तब कॉलेज के प्राचार्य एवं डायरेक्टर (HOD) की नियुक्ति मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित चयन परीक्षा के बाद की जाती थी।
2004 में राजनीति घुस गई। संचालक सोसाइटी बना दी गई। सोसायटी को अधिकार दे दिया गया। नतीजा यह हुआ कि कई कॉलेजों में तो लाइब्रेरियन, प्राचार्य बन बैठा है। अब जब मर्जर शुरू हुआ तो पोल खुल रही है। शासन ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि नियमित शासकीय कर्मचारी का दर्जा और पेंशन चाहिए तो मूल पद पर वापस जाइए।