जबलपुर। मध्य प्रदेश के कटनी जिले में गरीबी रेखा के नीचे वाले आदिवासियों ने कलेक्टर की शिकायत हाईकोर्ट में कर दी। आदिवासियों का आरोप था कि लंबे समय से उनके आवेदन कलेक्टर कार्यालय में पेंडिंग पड़े हुए हैं। कलेक्टर कोई फैसला ही नहीं ले रहे। हाईकोर्ट ने कलेक्टर को निर्देशित किया है कि वह आदिवासियों के आवेदन का 60 दिन के भीतर निराकरण करें।
याचिकाकर्ता ग्राम धनिया, तहसील रीठी, जिला कटनी निवासी हनुमंत सिंह, अजित सिंह व गौराबाई (सभी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले आदिवासी) की ओर से अधिवक्ता शंकर प्रसाद सिंह ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता विगत 25 वर्ष से शासन के नाम दर्ज बंजर भूमि पर मेहनत-मशक्कत कर उसे उपजाऊ बनाकर खेती करते चले आ रहे हैं। इसी से उनका जीवन-यापन हो रहा है।
याचिकाकर्ता गरीबी रेखा के नीचे आदिवासी समाज से आते हैं। उनके पास इस भूमि के अलावा खेती के लिए दूसरी कोई भूमि नहीं है। तहसीलदार ने उनके ऊपर कई बार जुर्माना लगाया। किंतु पट्टे के आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की। मध्यप्रदेश शासन की ओर से निर्धन आदिवासियों को पट्टा दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं फिर भी कलेक्टर उन्हें पट्टा जारी नहीं कर रहे। हाईकोर्ट ने कलेक्टर को निर्देशित किया है कि 60 दिन के भीतर उनके आवेदन का निराकरण करें।