भोपाल। आत्ममुग्ध व्यक्ति को कभी पता नहीं चलता कि उसका क्या नुकसान हो रहा है। कमलनाथ को मध्य प्रदेश में सबसे बड़ा नुकसान हुआ है। भोपाल में जब कमलनाथ को कोई नमस्ते भी नहीं करता था। तब एक व्यक्ति माला लेकर उनका इंतजार करता था। नरेंद्र सलूजा अपने कमलनाथ से ना केवल नाराज हैं बल्कि इतनी दुखी हैं कि उन्होंने काम बंद कर दिया है।
भोपाल और मध्य प्रदेश में नरेंद्र सलूजा की पहचान एक कांग्रेसी नेता से ज्यादा कमलनाथ समर्थक की रही है। सन 2018 से लेकर 26 मई 2022 तक नरेंद्र सलूजा कमलनाथ कैंप में सबसे सक्रिय भूमिका निभाते रहे। वह खुद को कमलनाथ का मीडिया कोऑर्डिनेटर कहलाने में गर्व की अनुभूति करते थे। मीडिया विभाग के चेयरमैन के पद पर उनका स्वाभाविक अधिकार था। जीतू पटवारी के इस्तीफे के बाद सबको उम्मीद थी कि नरेंद्र सलूजा को उनके परिश्रम और वफादारी का कुछ तो प्रतिफल मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
कमलनाथ ने पहले से ही व्यस्त चल रहे केके मिश्रा को मीडिया विभाग का चेयरमैन बना दिया। 6 वाइस प्रेसिडेंट की सूची नरेंद्र सलूजा भी एक नाम था। उन्होंने अपनी नाराजगी प्रकट की तो उन्हें मनाने और समझाने के बजाय पीसीसी में उनका कमरा संगीता शर्मा को आवंटित कर दिया। नरेंद्र सलूजा की नेम प्लेट तक हटा दी गई।
नरेंद्र सलूजा के साथ हुआ यह व्यवहार, सलूजा के लिए नहीं बल्कि कमलनाथ के लिए हानिकारक है। एक मैसेज पूरी कांग्रेस पार्टी में चला गया। जो कमलनाथ, नरेंद्र सलूजा के नहीं हो सकते वह क्या किसी और के हो सकते हैं।