जबलपुर। हाई कोर्ट ने अपने एक अहम आदेश में साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार रोजगार पंजीयन नियोजन की आवश्यक योग्यता नहीं है। लिहाजा, याचिकाकर्ताओं का रोजगार पंजीयन न होने पर भी फिजिकल टेस्ट में शामिल किया जाए। न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की एकलपीठ ने पुलिस महानिदेशक, डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ताओं के लिए विशेष परीक्षा का आयोजन किया जाए।
याचिकाकर्ता सिवनी निवासी कुंज बिहारी पटले की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व रामभजन लोधी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि छटवी बटालियन रांझी, जबलपुर में हुई पुलिस भर्ती की फिजिकल परीक्षा में याचिकाकर्ता को यह कहते हुए परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया था कि उसके पास रोजगार कार्यालय का जीवित पंजीयन नहीं है। फिजीकल टेस्ट दो जून से 29 जून, 2022 तक था। लेकिन इसे 26 जून को ही समाप्त कर दिया गया।
मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती में सिर्फ मध्यप्रदेश के मूलनिवासियों को ही रोजगार कार्यालय का जीवित पंजीयन होने की शर्त रखी गई थी। अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों को नहीं। इस प्रकार लगभग पांच हजार से ज्यादा अभ्यर्थी बाहर कर दिए गए, जिनके पास रोजगार कार्यालय का जीवित पंजीयन नहीं था। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता के लिए विशेष फिजिकल टेस्ट आयोजित कर उसे शामिल करने के निर्देश दिए।