जबलपुर। मध्य प्रदेश में चल रही पुलिस आरक्षक भर्ती की प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया परंतु फिलहाल किसी भी प्रकार का स्थगन अथवा अंतरिम आदेश जारी नहीं किया गया है।
जबलपुर के उम्मीदवार को रोजगार पंजीयन के कारण बाहर कर दिया
याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी अभिषेक पटेल सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने अवगत कराया कि सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के स्पष्ट दिशा-निर्देश के बावजूद पुलिस आरक्षक भर्ती प्रकिया में मनमानी जारी है। याचिकाकर्ता सहित अन्य कोविड की वजह से रोजगार कार्यालय में अपने पंजीयन का नवीनीकरण नहीं करा पाए। इसी को आधार बनाकर पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया के 2 जून से 29 जून तक निर्धारित दूसरे चरण शारीरिक परीक्षण में शामिल होने से वंचित कर दिया गया है।
मध्यप्रदेश पुलिस आरक्षक भर्ती- हर जिले में अलग-अलग नियम
आलम यह है कि जो अभ्यर्थी लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण हो चुके हैं, उनके दस्तावेज़ सत्यापन के दौरान रोजगार पंजीयन एक्सपायर होने के तथ्य को रेखांकित कर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। विरोधाभासी बात यह भी है कि कुछ जिलों में अंडरटेकिंग लेकर शारीरिक परीक्षण में शामिल भी किया जा रहा है। सवाल उठता है कि इस तरह के दोहरे मापदंड क्यों।
जबलपुर में छठवीं वाहिनी, रांझी में दूसरे चरण की परीक्षा चल रही है। इसमें शामिल होने से अभ्यर्थियों को महज रोजगार कार्यालय में पंजीयन नवीनीकृत न होने को आधार बनाकर दरकिनार कर दिया गया है। इससे असंतोष व्याप्त है।
ऐसा इसलिए भी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट ने अपने पूर्व न्यायदृष्टांतों में साफ किया था कि महज रोजगार कार्यालय का पंजीयन नवीनीकृत न होने के कारण परीक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता। इस बिंदू को रेखांकित कर हाई कोर्ट की शरण ली गई है। मांग की गई है कि हर हाल में अंतरिम राहत दी जाए। ऐसा न होने पर भविष्य खराब होगा। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया है।