जब कोई व्यक्ति दुखी या निराश होता है तो वह SAD SONG सुनना पसंद करता है। कुछ लोग परामर्श देते हैं कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। SAD SONG सुनने से मन में नेगेटिविटी बढ़ जाती है। यानी कि दुख और निराशा बढ़ जाती है। क्या विद्वानों का यह परामर्श सही है और सबसे बड़ा सवाल कि दुखी और निराश व्यक्तियों को SAD SONG क्यों पसंद आते हैं। आइए साइंस की किताब से पता लगाते हैं:-
क्या SAD SONG सुनने से दुख और निराशा बढ़ जाते हैं
यह तो अपन सभी जानते हैं कि संगीत अपने मन और जीवन को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। जब हम खुश होते हैं तो विशेष प्रकार का संगीत सुनना और उस पर झूमना या नाचना हमें अच्छा लगता है। भगवान की भक्ति में भी संगीत का योगदान है। कहते हैं नाचने से खुशी बढ़ जाती है। भगवान की भक्ति में संगीत को शामिल करने से भक्ति बढ़ जाती है। आइए पता लगाते हैं कि क्या SAD SONG सुनने से दुख और निराशा बढ़ जाते हैं।
साइंस की किताब बताती है कि जब एक दुखी व्यक्ति SAD SONG सुनता है तो उसके संगीत नहीं बल्कि शब्दों से खुद को कनेक्ट करता है। Psychological के अनुसार जब कोई दुखी व्यक्ति SAD SONG सुनता है तो वह डिप्रेशन में नहीं जाता बल्कि उससे बाहर निकल आता है। पॉजिटिव फील करता है क्योंकि दुखी व्यक्ति जब SAD SONG सुन रहा होता है तो उसके ब्रेन में डोपामाइन (Dopamine) रिलीज होता है। जिसके कारण इंसान को प्लेजर या ख़ुशी का एहसास होता है। यही कारण है कि दुखी व्यक्ति SAD SONG सुनना पसंद करते हैं।