भारत में मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में प्राचीन सिहोनिया ककनमठ स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इतिहास में दर्ज है कि इसका निर्माण कच्छपघात राजवंश के राजा कीर्तिराज ने 1015-1035 ईसवी में करवाया था। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि पत्थरों को जोड़ने के लिए किसी चीज का उपयोग नहीं किया गया फिर भी पत्थर एक के ऊपर एक संतुलन बनाए हुए हैं और वह भी 1000 सालों से, मौसम के तमाम हमलों को सहन करते हुए।
1000 साल से यह मंदिर बिना किसी सहायता के खड़ा है
बताया जाता है कि राजा कीर्तिराज की रानी ककनावती भगवान शिव की अनन्य भक्त थी। इस मंदिर का निर्माण उन्हीं के लिए करवाया गया था। इसीलिए मंदिर का नाम ककनमठ पुकारा गया। यह मंदिर विश्व भर के पर्यटकों को आकर्षित करता है। उनके मन में एक कौतूहल उन्हें खींच लाता है कि पिछले 1000 साल में मौसम के तमाम हमलों में, जहां कई शहर तबाह हो गए, यह मंदिर बिना किसी सहायता कैसे खड़ा है।
ग्वालियर संभाग का प्राचीन शिव मंदिर
ककनमठ मंदिर उत्तर भारतीय शैली में बना है। उत्तर भारतीय शैली को नागर शैली के नाम से भी जाना जाता है। ककनमठ मंदिर इस शैली का उत्कृष्ट नमूना है। इसकी सबसे खास बात यह है कि ककनमठ मंदिर के निर्माण में कहीं भी चूने-गारे का उपयोग नहीं किया गया। उपयोग किया जाए पत्थर भी सपाट नहीं है। पत्थरों को एक के ऊपर एक संतुलन बनाकर रखा गया है।
एक रात में बना अद्भुत शिव मंदिर
मंदिर को लेकर एक किंवदंती यह भी है कि इस मंदिर को दैवीय शक्ति के माध्यम से निर्मित किया गया है। मात्र एक रात्रि में मंदिर का निर्माण पूरा करना था परंतु प्रक्रिया में समय गुजर गया और सूर्योदय हो गया। यही कारण है कि मंदिर का निर्माण अधूरा रह गया। वर्षों तक चंबल के डाकुओं के कारण यह मंदिर सुरक्षित रहा और अब ककनमठ मंदिर की देखरेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) कर रही है।