जबलपुर। मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग एवं जनजातीय कार्य विभाग के लिए प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड भोपाल द्वारा आयोजित प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा में बीएड डिग्री वाले उम्मीदवारों के खिलाफ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की गई है।
प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की युगलपीठ ने नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन, एनसीटीई के चेयरमैन, स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, लोक शिक्षण संचालनालय, व्यावसायिक परीक्षा मंडल के चेयरमैन व अन्य से जवाब तलब किया है। साथ ही इस परीक्षा के तहत होने वाली नियुक्तियों को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया है।
MPTET-3 में BEd वाले उम्मीदवारों के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका
जबलपुर निवासी रोहित चौधरी व केशरी नंदन साहू ने याचिका दायर कर बताया कि हाल ही में सम्पन्न हुई वर्ग तीन की पात्रता परीक्षा में बीएड डिग्री धरियों को भी शामिल किया गया है जबकि उक्त अभ्यार्थियों को छह माह का ब्रिज कोर्स करना अनिवार्य है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने कोर्ट को बताया आज तक देश मे ब्रिज कोर्स कैसे होगा, उसका पाठ्यक्रम क्या होगा, इसका निर्धारण नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में बीएड डिग्री धरियों को चयनित किया जाता है तो डीएलएड डिप्लोमा धारकों के विधिक अधिकारों का उल्लघन होगा। उन्होंने कहा कि उक्त कक्षाओं में अध्ययनरत बच्चों का शिक्षा के अधिकारों का उल्लघन होगा।
दलील दी गई कि शासन द्वारा अपने गई प्रक्रिया असंवैधानिक है।
अधिवक्ताओं ने अपनी दलीलों के समर्थन में राजस्थान हाई कोर्ट सहित सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों का हवाला भी दिया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा और उसके परिणाम के तहत की जाने वाली भर्तियों को इस याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन कर दिया।
इस मामले में अंतिम सुनवाई के बाद कोई ठोस निर्णय सामने आएगा। इसके बाद ही याचिकाकर्ताओं को राहत मिलेगी या झटका लगेगा।इसे लेकर दोनों पक्ष पूरी मेहनत कर रहे हैं। खुद को सही साबित करके दूसरे को अनुचित दावे की तरफ धकेला जा रहा है। इससे फैसला हक में आएगा। साथ ही राहत मिलेगी। ऊंट किस करवट बैठता है, यह देखने लायक बात होगी।