शिवलिंग पर हमेशा वह चीजें अर्पित की जाती हैं, जो मनुष्यों के लिए वर्जित होती हैं। शिवलिंग पर ज्यादातर विषाक्त चीजें चढ़ाई जाती है। सावन के महीने में दूध विषाक्त हो जाता है इसलिए वह भी शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है। इसी प्रभाव को कम करने के लिए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं और जल से उसका निरंतर अभिषेक किया जाता है।
धार्मिक कथाएं बहुत सारी है। अपन उनकी बात नहीं करेंगे। अपन साइंस की बात करेंगे जो शिव से प्रारंभ होता है। यह सभी लोग जानते हैं कि शिवलिंग पर सभी विषाक्त चीजें हैं इसलिए अर्पित की जाती है ताकि मनुष्य एवं पृथ्वी के प्राणियों को उन से बचाया जा सके। इसके कारण शिवलिंग भी विषाक्त हो जाता है। उसके प्रभाव को कम करने के लिए निरंतर जल अभिषेक किया जाता है, लेकिन अभिषेक का जल भी विषाक्त हो जाता है। जो प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
बिल्व पत्र में एक हरा-पीला तेल, इगेलिन, इगेलिनिन नामक एल्केलाइड भी पाए गए हैं। कई विशिष्ट एल्केलाइड यौगिक व खनिज लवण त्वक् में होते हैं। यह चमत्कारी रूप से जहर के प्रभाव को खत्म कर देते हैं। यही कारण है कि शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाए जाते हैं। ताकि विष का प्रभाव समाप्त हो जाए और यदि कोई गलती से शिवलिंग के अभिषेक के बाद जलहरि से निकलने वाले दूध या पानी को पी ले तो उसे कोई नुकसान ना हो।