यदि महादेव का तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक तो खुलने पर प्रलय क्यों आएगी- Amazing facts in Hindi

Bhopal Samachar
कहते हैं कि भगवान शिव का तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक है। अलग-अलग विधि के विद्वान भगवान शिव के तीसरे नेत्र की अपने अपने दृष्टिकोण से समीक्षा करते हैं परंतु एक बात सभी लोग समान रूप से कहते हैं कि महादेव का तीसरा नेत्र खुलने पर प्रलय आ जाती है। सवाल यह है कि जब भगवान शिव का तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक है तो फिर उसके खुलने पर ज्ञान की गंगा बहने चाहिए, प्रलय क्यों आएगी। आइए इसे समझने का प्रयास करते हैं:-

भगवान शिव का एक नाम व्योमकेश भी है। इसका अर्थ होता है अंतरिक्ष का देवता। महादेव को ब्रह्मांड का देवता कहा गया है और इसीलिए उन्हें व्योमकेश के नाम से पुकारा गया। इससे एक बात स्पष्ट होती है कि भगवान शिव के बारे में विद्वान जितना जानते हैं, वह पर्याप्त नहीं है। ठीक उसी प्रकार जैसे अंतरिक्ष के विषय में नासा जितना जानता है, वह पर्याप्त नहीं है। 

महादेव के तीसरे नेत्र के कारण उनका एक नाम त्र्यंबक भी है। पृथ्वी पर भारत देश के महाराष्ट्र राज्य के नासिक शहर के नजदीक त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है। यहां पर कालसर्प दोष के निवारण के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। विज्ञान की नजर से देखें तो कालसर्प का मतलब है ब्लैक होल जिसका अंतरिक्ष वाला हिस्सा राहु और पाताल वाला हिस्सा केतु। 

अब इन सब बातों को कनेक्ट करते हैं। 
  • भगवान शिव अंतरिक्ष के देवता है। 
  • तीसरे नेत्र के कारण त्र्यंबक नाम पड़ा। 
  • त्रयंबकेश्वर का संबंध कालसर्प से है। 
  • कालसर्प यानी ब्लैक होल। 
  • ब्लैक होल जिसके कारण पूरा ब्रह्मांड अनुशासन में है। 
  • ब्लैक होल जहां से ब्रह्मांड का जन्म होता है। 
  • ब्लैक होल जहां सबका संहार हो जाता है। 
  • ब्लैक होल जो आदि भी है और अंत भी।
  • ब्लैक होल के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया।

तो क्या महादेव के मस्तक पर जो तीसरा नेत्र है वह ब्लैक होल का प्रतीक है। जब तक बंद है तब तक सृष्टि का सृजन होता है और यदि खुल गया तो सारा ब्रह्मांड उसमें समा जाएगा, सब कुछ समाप्त हो जाएगा।

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