भगवान शिव अंतरिक्ष के स्वामी हैं और इसीलिए शिव से संबंधित रहस्य कोई नहीं जान पाता। भगवान शिव कि प्रत्येक विधि के पीछे विज्ञान होता है। शिवलिंग की पूजा के पीछे भी वास्तु का विज्ञान छुपा हुआ है। इसीलिए कहते हैं कि जो मनुष्य सावन के महीने में विधि पूर्वक शिवलिंग का अभिषेक करता है, उसे अभीष्ट फल प्राप्त होते हैं।
हम सभी जानते हैं कि शिवलिंग की वेदि का मुख उत्तर दिशा की तरफ होता है अर्थात उत्तर दिशा में बैठकर शिवलिंग का अभिषेक अनिवार्य रूप से वर्जित किया गया है। यहां तक की शिवलिंग के उत्तर की दिशा में खड़े होने या परिक्रमा को भी वर्जित किया गया है। सरल शब्दों में याद रखिए शिवलिंग की उत्तर दिशा सर्वदा निषेध है।
पूर्व दिशा में ऊर्जा का प्रवाह होता है इसलिए शिवलिंग के पूर्व में बैठकर अभिषेक करने से मनुष्य की आंतरिक ऊर्जा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। पश्चिम दिशा में बैठकर अभिषेक करना उचित नहीं माना जाता क्योंकि पश्चिम दिशा की तरफ भगवान शिव की पीठ होती है और पीठ के पीछे बैठकर किसी की पूजा करना शुभ नहीं होता।
शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए दक्षिण दिशा में बैठना एकमात्र सही और शास्त्र सम्मत है। दक्षिण दिशा में बैठकर अभिषेक करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। हृदय आनंद से भर जाता है। मन में शक्ति का एहसास होता है।