जब हम किसी भी भगवान की पूजा करते हैं तो उनकी परिक्रमा भी करते हैं परंतु शिवलिंग का अभिषेक करने के बाद परिक्रमा को वर्जित बताया गया है। यहां तक की शिवलिंग से निकलने वाली जलधारा के नजदीक भी नहीं जाते। सवाल यह है कि शास्त्रों में इसे वर्जित क्यों किया गया है। क्या यूं ही किसी ने नियम बना दिया या फिर इसके पीछे कोई विज्ञान भी है। आइए जानते हैं:-
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव अंतरिक्ष के स्वामी हैं और अंतरिक्ष के रहस्यों का पता लगाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी एजेंसी नासा भी स्वीकार करती है कि शिव से जुड़े रहस्यों का पता लगाना संभव नहीं है। वैज्ञानिकों ने यह भी माना है कि पृथ्वी पर जितने भी ज्योतिर्लिंग मौजूद है सभी में एक विशेष प्रकार का रेडिएशन पाया जाता है। सभी ज्योतिर्लिंग एक न्यूक्लियर रिएक्टर की तरह होते हैं। इनमें रेडियोएक्टिव एनर्जी पाई जाती है।
जब हम शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं। उसका अभिषेक करते हैं तो शिवलिंग के संपर्क में आने के कारण पानी भी रेडियो एक्टिव एनर्जी से युक्त हो जाता है। यही कारण है कि शिवलिंग की वेदी से निकलने वाले पानी के नजदीक भी नहीं जाते और इसी कारण से शिवलिंग की परिक्रमा वर्जित बताई गई है। खास बात यह है कि जब यह पानी किसी नदी के पानी से मिलता है तो उस नदी का उपचार करता है। नदी के पानी को शुद्ध कर देता है।