शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान शिव जब ध्यान मग्न होते हैं तो उनके आसपास कुछ भी नहीं होता। यहां तक की उनके अपने परिवार के सदस्य भी उनके साथ ध्यान में नहीं बैठते। आपने नोटिस किया होगा, भगवान शिव जब ध्यानमग्न होते हैं तो उनके पास उनका त्रिशूल अवश्य होता है। आइए जानते हैं कि इसके पीछे का विज्ञान क्या है:-
भगवान शिव अंतरिक्ष के स्वामी हैं इसीलिए उनका एक नाम एवं व्योमकेश भी है। भगवान शिव की पूजा तीनों लोकों में की जाती है इसलिए भगवान शिव त्र्यंबकेश्वर भी हैं। ब्रह्मांड के रहस्य समझने के लिए भगवान शिव को समझना बहुत जरूरी है। त्रिशूल के माध्यम से भगवान शिव ने विज्ञान के उस सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जिसकी सहायता से आज करोड़ों नागरिक मृत्यु से बच जाते हैं।
यह तो आप जानते ही हैं कि पृथ्वी पर प्रत्येक मिनट में 6000 बार बिजली गिरती है। अब जरा सोचिए यदि दुनिया में तड़ित चालक नहीं होते तो हर रोज कितने लोगों की मृत्यु वज्रपात के कारण हो रही होती। त्रिशूल के माध्यम से भगवान शिव ने पृथ्वी पर मनुष्य एवं सभी प्राणियों को अंतरिक्ष की आपदाओं से बचाने के लिए तड़ित चालक उपलब्ध कराया। साथ ही उसका डेमोंसट्रेशन देकर यह भी प्रमाणित किया कि यदि आप इस सिद्धांत का पालन करते हैं तो प्राकृतिक आपदाओं को इतनी आसानी से टाला जा सकता है कि आपका ध्यान भी भंग नहीं होगा।