भगवान शिव की पूजा पद्धति में भांग को शामिल किया जाता है। शिवलिंग पर अभिषेक करते समय अनिवार्य रूप से भांग अर्पित की जाती है। सवाल यह है कि शिवलिंग पर भांग क्यों चढ़ाई जाती है। क्या इस प्रकार संदेश दिया जाता है कि भांग का सेवन करना उचित है। आइए इसका वैज्ञानिक कारण जानते हैं।
भांग के पौधे का वैज्ञानिक नाम Cannabis indica (कैनाबिस इंडिका) है। यह कैनाबेसी फैमिली (Cannabaceae family) का सदस्य है। यह एक वार्षिक (Annual) पौधा है। इस कारण हर जगह आसानी से उपलब्ध होता है। यह पौधा नर (Male) और मादा ( Female) अलग-अलग रूपों में पाया जाता है। रिसर्च के दौरान पाया गया है कि भांग में कई प्रकार के चमत्कारी औषधीय गुण होते हैं।
दर्द निवारक दवाइयों अनिवार्य रूप से भांग का उपयोग किया जाता है। रिसर्च में पाया गया है कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ने की क्षमता भांग में होती है। हाल ही में महामारी के समय वैज्ञानिकों की रिसर्च में पाया गया है कि कोविड-19 के सबसे ज्यादा जान लेने वाले डेल्टा वर्जन से लड़ने की क्षमता भांग में है। कुल मिलाकर भांग में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कोविड-19 डेल्टा जैसे तुरंत जान लेने वाले वायरस को भी खत्म कर देते हैं।
शिवलिंग पर अभिषेक की सामग्री में भांग शामिल करने से रेडियोएक्टिव एनर्जी के बावजूद शिवलिंग पर अर्पित किया गया जल विषाक्त एवं हानिकारक नहीं होता बल्कि औषधि भी बन जाता है और जब यह जल नदी अथवा नाले में जाकर मिलता है उसका उपचार करने लगता है। कुल मिलाकर शिवजी के अभिषेक की सामग्री में भांग, प्रसाद में वितरित करने के लिए नहीं बल्कि अभिषेक के जल में मिलाने के लिए शामिल की जाती है।