दुनियाभर में जितने भी ज्योतिर्लिंग और स्वयंभू शिवलिंग है, सभी पत्थर के हैं लेकिन जब हम घर में शिवलिंग स्थापित करने की बात करते हैं तो परामर्श दिया जाता है कि पारद शिवलिंग सर्वश्रेष्ठ हैं। सवाल यह है कि पारद एक धातु है जबकि ज्योतिर्लिंग पत्थर के होते हैं। तो फिर क्या कारण है कि पारद के शिवलिंग घर में स्थापित करने हेतु प्राथमिकता दी जाती है।
यह तो अपन जानते ही हैं कि पारा ब्रह्मांड में मौजूद एकमात्र तरल धातु है। पारद के शिवलिंग, पारा और चांदी को मिलाकर बनाए जाते हैं। दो धातुओं के मिश्रण से एक चमत्कारी धातु का निर्माण होता है जिसे पारद कहा जाता है। यह इतनी अधिक प्रभावशाली होती है कि यदि पारद धातु को आप बर्फ पर रख देंगे तो यह अपने आकार का बर्फ सोख लेगा। इतना ही नहीं यदि इसके संपर्क में स्वर्ण धातु लाई जाएगी तो वह भी पारद धातु में विलीन हो जाएगी। कई प्रकार की गंभीर बीमारियों में पारद धातु के यंत्रों का उपयोग किया जाता है।
पारद को रसायन विज्ञान की भाषा में पारा (Mercury) कहा जाता है जिसका रासायनिक संकेत Hg है। अब तक मौजूद समस्त धातुओं में सिर्फ यही एक ऐसी धातु है, जो सामान्य ताप पर तरल या लिक्विड अवस्था में पाई जाती है।
दरअसल पारद धातु में सोख करने का गजब का गुण होता है। यह कई प्रकार के वायरस और बीमारी बढ़ाने वाले कीटाणुओं को पलक झपकते ही नष्ट कर देता है। यही कारण है कि पारद धातु के शिवलिंग घर में स्थापित करने की सलाह दी जाती है। इसके कारण नेगेटिव एनर्जी पूरी तरह से समाप्त हो जाती है। मौसम एवं वायु से संबंधित रोग नहीं होते। संक्रमण फैलाने वाले वायरस खत्म हो जाते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि जिस घर में पारद धातु के शिवलिंग की पूजा होती है उस घर में कभी अकाल मृत्यु नहीं होती।