भोपाल। मैं आत्महत्या कर रहा हूं। मैं 2003 से अधिकार की लड़ाई लड़ रहा हूं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। मुझे रिटायरमेंट के 70 हजार रुपए भी नहीं मिले। अब जान दे रहा हूं।, यह सुसाइड नोट एक ऐसे कर्मचारी का है जिसने राज्यपाल की अपील पर सन 2003 में VRS ले लिया था।
मध्य प्रदेश में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के नियमितीकरण के आंदोलन के बीच सन 2003 में तत्कालीन राज्यपाल रामप्रकाश गुप्त ने लिखित आदेश के माध्यम से घोषणा की थी कि जो भी कर्मचारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लेगा, उसे एक मुश्त ₹70000 दिए जाएंगे। राज्यपाल की अपील पर जल संसाधन विभाग के ओम प्रकाश भार्गव ने VRS ले लिया।
डिपार्टमेंट ने उन्हें रिटायर तो कर दिया परंतु उसके बदले ₹70000 का भुगतान नहीं किया। पिछले 18 साल से ओम प्रकाश भार्गव अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे थे। 13 जुलाई गुरु पूर्णिमा के दिन हार गए। ओमप्रकाश बुधवार दोपहर 4 बजे वह नर्मदा भवन पहुंचे। थोड़ी देर बाद यहीं झाड़ियों में छिपकर खुद पर चाकू से हमला कर लिया। वह खून से लथपथ होकर बेसुध जमीन पर गिर पड़े। लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया।
अपने सुसाइड नोट में उन्होंने जल संसाधन विभाग के तत्कालीन एसडीओ भदौरिया समेत दो तीन लोगों को सुसाइड के लिए जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन पुलिस का कहना है कि यह सभी अधिकारी तो रिटायर हो चुके होंगे। इस प्रकार पुलिस, अधिकारियों के बचाव का प्रयास कर रही है क्योंकि आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला तो रिटायर अधिकारी के खिलाफ भी दर्ज हो सकता है।
यदि किसी अधिकारी ने सेवा में रहते हुए कोई अपराध किया है तो रिटायरमेंट के बाद उसे निर्दोष नहीं माना जा सकता।