Cricket में डिसीजन के लिए सिर्फ अंपायर और कैमरे पर ही क्यों डिपेंड रहना

Bhopal Samachar
हाल ही में सम्पन्न हुई एक दिवसीय और 20-20 क्रिकेट सीरीज में भारत ने इंगलेंड को दोनों ही शृंखलाओं में 2-1 से मात दी। जीत सबको अच्छी लगती है और हम भारत की इस जीत की सबको बधाई देते हैं। पर इस जीत कि साथ ही हम कुछ ऐसे मसलों पर ध्यान खींचना चाहेंगे जो क्रिकेट कि चमक धमक में शायद कहीं खो जाते हैं। जो विषय हम यहाँ देखने जा रहे हैं इनके से कुछ सुझाव हमने ICC और BCCI के आगे भी रखे हैं। 

सबसे पहले शुरुआत करते हैं भारत और इंगलेंड के आख़री मैच से। हम जीत तो गए पर इस यह खेल बहुत सी लापरवाहियों से भरा था। जहां इंगलेंड के कप्तान ने कप्तानी में बहुत सी ग़लतियाँ की जैसे, अपने प्रमुख गेंदबाज़ टोपलि और विली के ओवर बचा के रख लिए। वहीं मैन ओफ़ द मैच रहे ऋषभ पंत, शतक मारने के दौरान कई बार ग़ैर ज़िम्मेदाराना शॉट खेलते नज़र आए। 

क्रिकेट के जानकार उनकी शतकीय पारी के सामने उनकी ग़लतियों को भले ही नज़रंदाज़ कर दें पर अगर ये कोई और दिन होता तो शायद इनही ग़लतियों की वजह से भारत ये मैच हार भी सकता था क्यूँकि निचले क्रम में जो गेंदबाज़ थे उन्हें कोई ख़ास बल्लेबाज़ी का अनुभव नहीं था। इस मैच से हमारे युवा क्रिकेट खिलाड़ी ये सीख सकते हैं कि आपको संयम से और मैच की स्थिति समझते हुए ही खेलना चाहिए। विपक्षी दल तो बाद में आप पर हावी होता है, पहला मौक़ा आप अपनी किसी गलती से सामने वाले को देते हैं। 

क्रिकेट को बेहतर बनाने के कुछ सुझावों में अगर हम गेंदबाज़ की एड़ी या जूते का पिछला हिस्सा क्रीज़ के पीछे है या नहीं ये देखने के बजाय, हमें ये करना चाहिए कि गेंदबाज़ को कह देना चाहिए कि वह क्रीज़ को छू नहीं सकता वरना नो बॉल। जैसे अलिम्पिक्स में भाला फेंक प्रतियोगिता में होता है। इसको सही से लागू करने हम नई तकनीक जैसे लेज़र टेक्नॉलजी का उपयोग कर सकते हैं और नो बॉल होते है अपने आप अलार्म बज जाए। ऐसे ही वाइड बॉल के लिए भी हम लेज़र तकनीक का प्रयोग कर सकते हैं, जैसे ही गेंद उस वाइड लाइन को छूती है अलार्म बज जाए। 

अभी के क्रिकेट क़ानूनों (जी हाँ क्रिकेट में क़ानून होते हैं नियम नहीं) के हिसाब से वाइड बॉल तब होती है जब वो गेंद वाइड क्रीज़ के बाहर हो पर हम सब जानते हैं इसमें अंपायर कितनी गलतियां करते हैं। 

रन आउट के लिए भी हम इसी लेज़र तकनीक का प्रयोग कर सकते हैं। पर इस बार बल्लेबाज़ को अपना विकेट बचाने ये तय करना होगा कि उसने क्रीज़ को छुआ हो या पार किया हो। क्रीज़ छूटे ही ग्रीन सिग्नल आ जाएगा, इससे शॉर्ट रन भी आसानी से पकड़ा जा सकता है। रन आउट कि ही तरह स्टम्पिंग भी इसी तरह से तय की जा सकती है। इसका सबसे बड़ा फ़ायदा ये होगा कि तीसरे अंपायर को रिव्यू करने में जो समय अन्यथा ही जाता है वो बच जाएगा। 

एक ओर तो ICC क्रिकेट को फ़ुट्बॉल की लोकप्रियता तक पहुँचाने के लिए बहुत कुछ फ़ुट्बॉल से कॉपी करती रहती है। पर ICC भूल जाती है कि फ़ुट्बॉल ऐसा खेल है जिसमें 11 के 11 खिलाड़ी आमने सामने होते हैं और क्रिकेट में 2 बनाम 11 । इसलिए मूल स्तर पर ही यह खेल फुटबॉल से बहुत अलग है। इसलिए इसे संचालित करने के तरीक़े भी अलग होने चाहिए और इसे छोटा करने के लिए जो समय खेल खेलने के अलावा व्यर्थ होता है उसे बचाना चाहिए। कई बार अंपायर तो बिना कारण ही रन आउट के लिए तीसरे अंपायर को याद करते हैं, जबकि दिखता है साफ़ साफ़ कि बल्लेबाज़ अंदर है। 

LBW एक ऐसा फ़ैसला है जिसमें मानवीय भूल की हमेशा गुंजाइश है, इसलिए इसको पूरी तरह से तकनीक पर लागू कर देना चाहिए। इससे जाने अनजाने में हुए ग़लत फ़ैसले भी बचेंगे और कप्तान को अपना DRS सिर्फ़ कैच में संदिग्ध अवस्था में प्रयोग करने में आसानी होगी। 

आप भी विचार करिए इनमे से कितनी बातें क्रिकेट को और सटीक और तेज खेल बना देगी अभी खेलने के बजाय बहुत समय अंपायर के फ़ैसले का इंतज़ार करने में जाता है। ✒लेखक - राजा नितिन परिहार 

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!