दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 का अध्याय 21(क) की धारा 265क से 265 ठ तक आपराधिक मामलों में सौदेबाजी अर्थात समझौता के लिए नियम लागू करता है धारा 265क में हमने बताया था कि किन किन अपराधों का समझोता किया जा सकता है किसी भी अपराध की सुनवाई के समय लेकिन सवाल यह हैं कि सौदेबाजी के लिए कौन आवेदन सा पक्षकार करेगा जानते हैं।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 265(ख) की परिभाषा
• कोई भी आरोपी अपराध के विचारण के समय समझौता के लिए न्यायालय में आवेदन फाइल कर सकता है।
• आवेदन में मामले एवं अपराध का संक्षिप्त विवरण होगा एवं आरोपी एक शपथ पत्र भी आवेदन के साथ देगा। शपथ पत्र में वह यह कथन देगा कि वह अपनी स्वेच्छा से समझौता कर रहा है उसे किसी भी समझौता के लिए किसी भी प्रकार का दबाव नहीं है एवं पहले किसी अपराध का दोषी भी नहीं है।
सौदेबाजी(समझौता) आवेदन के बाद न्यायालय की प्रक्रिया
• न्यायालय सरकारी वकील या पीड़ित व्यक्ति(परिवादी) एवं साथ में आरोपी की एक निश्चित तारीख को हाजिर होने के लिए सूचना देगा।
• सरकारी वकील या परिवादी एवं आरोपी अगर हाजिर होते हैं तब मजिस्ट्रेट आरोपी की बंद कमरे में परीक्षा करेगा परीक्षा के समय दूसरा पक्ष अर्थात परिवादी उपस्थित नहीं होगा।
अगर आरोपी की परीक्षा के दौरान मजिस्ट्रेट को लगता है कि आरोपी ने बिना किसी दबाव के सौदेबाजी का आवेदन दिया हैं तब मजिस्ट्रेट पीड़ित व्यक्ति को उचित प्रतिकर सहित अन्य खर्च जो भी समझौते में होंगे देने के लिए एक निश्चित तारीख तय करेगा।
अगर आरोपी पूर्व दोषसिद्धि है तब क्या होगा जानिए:-
अगर ऐसा कोई आरोपी जो पहले किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध हो गया था तब वह समझौता के लिए आवेदन करता है तो न्यायालय अपनी कार्यवाही चालू रखेगा अर्थात पूर्व दोषसिद्ध आरोपी का आवेदन स्वीकार नहीं करेगा एवं विचारण चालू रखेगा।