इंदौर। भारत सरकार ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय को चिप टू स्टार्टअप योजना में शामिल किया है। इस योजना में भारत की केवल 30 यूनिवर्सिटी को शामिल किया गया है। विश्वविद्यालय के इंस्टिट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी (आइईटी) के प्रोफेसर के प्रोजेक्ट को सहमति मिल चुकी है। वे चिप बनाने को लेकर प्रशिक्षण देने के बारे में बताएंगे। इसके लिए 86 लाख रुपये का अनुदान मिल गया है।
गांधीनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया वीक-2022 में देश को सेमी कंडक्टर से जुड़े क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया। इसके लिए देशभर की 100 संस्थानों को चुना जाएगा। पहले चरण में 30 संस्थानों के नाम की घोषणा की है। आइआइटी, एनआइटी व आइआइआइटी व देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इसमें शामिल हैं। आइईटी के डा. वैभव नेमा ने दो बिंदुओं पर अपना प्रोजेक्ट भेजा था, जो चिप बनाने में रिसर्च और ट्रेनिंग पर आधारित है। डा. नेमा बताते हैं कि सेमी कंडक्टर चिप की कमी से कई सेक्टर प्रभावित हैं। वैसे भारत में चिप बनाने को लेकर एक स्तर पर काम होता है। चिप की प्रोग्रामिंग को लेकर बड़े पैमाने में भारतीय साफ्टवेयर इंजीनियर लगे हैं। मगर प्रोडक्शन का काम अमेरिका और ताइवान जैसे देश कर रहे हैं।
कई विश्वविद्यालयों के स्टूडेंट को ट्रेनिंग दी जाएगी
डा. नेमा ने बताया कि चिप बनाने के लिए कुशल लोगों की कमी है। अब इस दिशा में अधिक ध्यान दिया जा रहा है। लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि चिप की प्रोग्रामिंग से लेकर बनाने का काम भारत में किया जा सके। डा. नेमा के मुताबिक अगले कुछ महीनों में आइईटी में आधुनिक लैब बनाई जाएगी। साथ ही कई विश्वविद्यालय व कंपनियों के लोगों को विशेषज्ञ ट्रेनिंग देंगे।
स्किल डेवलपमेंट के लिए 86 लाख रुपए मिले
स्कूल आफ इलेक्ट्रानिक्स के विभागाध्यक्ष डा. अभय कुमार ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिक मंत्रालय ने कुछ दिन पहले चिप टू स्टार्टअप स्कीम के तहत प्रस्ताव आमंत्रित किए थे। चिप मैन्युफैक्चरिंग, चिप डिजाइन और स्किल मैनपावर ट्रेनिंग श्रेणी थी। डा. कुमार ने बताया कि अभी लोगों को स्किल बनाने पर अधिक जोर दिया जा रहा है। विश्वविद्यालय का प्रोजेक्ट भी इसी श्रेणी में मंजूर हुआ है। इसके लिए 86 लाख रुपये मिले है।