भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना ने ना केवल अपने अधीनस्थ शिक्षकों को एमएड की ट्रेनिंग पर जाने से रोक दिया है बल्कि राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक धनराजू एस को ज्ञान भी दिया है। बताया है कि शिक्षकों को MEd करा रिजल्ट सुधरता नहीं है बल्कि बिगड़ जाता है।
स्कूल शिक्षा विभाग एमएड को अच्छा मानता है
स्कूल शिक्षा विभाग के विद्वानों एवं नीति नियंताओं के अनुसार बीएड, एमएड व डीएलएड जैसे कोर्स करने से किसी भी व्यक्ति का स्तर सुधरता है और वह अच्छे दर्जे का शिक्षक बन जाता है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि एक आम आदमी और एक शिक्षक में बीएड, एमएड व डीएलएड जैसी डिग्री का ही अंतर होता है, क्योंकि इन्हीं कोर्स में विद्यार्थियों को पढ़ाना सिखाया जाता है। स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षकों के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण एवं इस प्रकार के अवसर देता रहता है। इसके लिए शासन की ओर से विधिवत छुट्टी मिलती है और पूरा वेतन भी मिलता है।
इस बार भी एमएड के लिए आवेदन मंगवाए गए थे। जिला शिक्षा अधिकारी भोपाल ने तक कोई सर्कुलर जारी करके अपने शिक्षकों को आवेदन करने से नहीं रोका। अब जबकि शिक्षकों का चयन हो गया है और उन्हें प्रशिक्षण के लिए जाना है तो जिला शिक्षा अधिकारी ने अचानक उनकी रिलीविंग पर रोक लगा दी।
DEO BHOPAL नितिन सक्सेना का पत्र जो सुर्खियों में आ गया
डीईओ सक्सेना ने संचालक राज्य शिक्षा केंद्र को एक पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2022-23 में एमएड प्रशिक्षण हेतु चयनित शिक्षक व माध्यमिक शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि सभी प्राथमिक या माध्यमिक शिक्षक डीएलएड या बीएड की अर्हता भर्ती नियमों के अनुसार पूर्व से रखते है।
उक्त शिक्षकों के दो वर्ष एमएड प्रशिक्षण कराने से विभाग द्वारा इनका वेतन या भत्तों के भुगतान के साथ-साथ अतिथि शिक्षक की व्यवस्था शासन द्वारा करनी पड़ती है। जिससे शासन पर अत्यधिक वित्तीय बोझ आता है। भोपाल जिले में पूर्व परीक्षा परिणाम में आपेक्षित बढ़ोतरी न होकर गिरावट आई है। साथ ही शाला की शिक्षण व्यवस्था भी प्रभावित होती है। अत: छात्रहित को देखते हुए एमएड के लिए चयनित शिक्षकों को कार्यमुक्त नहीं किया गया है।