देवी अहिल्या की शिव भक्ति तो विश्व प्रसिद्ध है। उन्होंने भारत में जहां भी भ्रमण किया, दिव्य शिवलिंग की स्थापना जरूर की। प्राचीन शिव मंदिरों के जीर्णोद्धार में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मध्य प्रदेश के पेटलावद में एक ऐसा ही शिव मंदिर स्थित है जिसके शिवलिंग की स्थापना स्वयं देवी अहिल्या ने की थी।
इस मंदिर को नीलकंठेश्वर महादेव पेटलावद के नाम से पुकारा जाता है। शिवलिंग की स्थापना के लिए डमरु बनाए गए थे। देवी अहिल्या ने सातवें डमरु पर शिवलिंग की स्थापना की। यह न केवल प्राचीन शिव मंदिर है बल्कि लाखों लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र भी है। सन 1717 में इस मंदिर की स्थापना हुई थी और तब से लेकर अब तक वर्ष में दो बार (महाशिवरात्रि एवं श्रावण मास) भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।
मान्यता है कि नीलकंठेश्वर महादेव की कृपा से जीवन में सुख और समृद्धि की वर्षा होती है। श्रावण मास में इस मंदिर में जो कोई श्रद्धालु अभिषेक करता है उसके जीवन में सूखा समाप्त हो जाता है और सफलता एवं आनंद की वर्षा होने लगती है। मानसून के आमंत्रण के लिए भी नीलकंठेश्वर महादेव शिवलिंग जल में डूबा देने की परंपरा है।