जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू की एकल पीठ ने होशंगाबाद पुलिस द्वारा एक मामले में दर्ज की गई 2 FIR में से दूसरी FIR को निरस्त कर दिया। याचिकाकर्ता ने बताया था कि राजनैतिक दबाव में उसके खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया और 5 महीने बाद उसी शिकायत के आधार पर दूसरी FIR दर्ज की गई।
उल्लेखनीय है कि होशंगाबाद निवासी कृष्ण कुमार रुसिया की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि वह एक आरटीआई कार्यकर्ता है। नगर निगम होशंगाबाद से ग्रह आवंटन के संबंध में उसने आरटीआई के तहत सूचना मांगी थी। जिसके संबंध में समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित हुए। समाचार से आक्रोशित होकर स्थानीय दबंग नेता ने उन पर हमला कर दिया था। शिकायत पर पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। याचिकाकर्ता के विरुद्ध भी राजनीतिक दबाव के कारण एफआईआर दर्ज की गई थी।
विचारण न्यायालय ने याचिकाकर्ता की FIR के आरोपियों की जमानत निरस्त करते हुए तल्ख टिप्पणी की है कि पुलिस प्रशासन स्वयं न्यायालय बन गए हैं। टिप्पणी के 4 दिन बाद पुरानी घटना पर 5 महीने बाद दूसरी एफआईआर दर्ज कर ली। SP और IG ने भी जांच में पाया था कि एक ही मामले में पुनः प्राथमिकी दर्ज की गई है। जिस कारण से उन्होंने जांच अधिकारी को दंडित किया था। लोक अभियोजक ने भी मामले को खारिज करने की अनुशंसा की थी लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते याचिकाकर्ता के विरुद्ध अभियोग पत्र प्रस्तुत कर दिया गया, जो कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (जीने का अधिकार) का हनन है। याचिका का निराकरण करते हुए एकल पीठ ने एक ही ट्रायल का आदेश जारी किया है।