गोल्फ की बाल तो आपने भी देखी होगी। वह किसी भी दूसरी बॉल से बिल्कुल अलग होती है। उसमें बहुत सारे डिंपल्स होते हैं। सवाल यह है कि क्रिकेट, हॉकी, लॉन टेनिस और तमाम दूसरे खेलों में बॉल का उपयोग किया जाता है परंतु किसी में भी डिंपल्स नहीं होते। फिर गोल्फ की बॉल में डिंपल्स क्यों होते हैं। आइए पता लगाते हैं:-
दरअसल गोल्फ की डिंपल्स वाली बॉल लंबी रिसर्च के बाद तैयार हुई है। इसमें फिजिक्स के सिद्धांतों का फायदा उठाया गया है। डिंपल्स के कारण बॉल के रास्ते में ड्रैग कम होता है जिसके कारण उसकी स्पीड बढ़ जाती है। यही डिंपल्स बॉल को लिफ्ट प्रदान करते हैं। यानी कि वह हवा में तेज गति से और ज्यादा ऊंचाई तक जाती है।
इसका आविष्कार किसी लैब में नहीं किया गया। चौदहवीं शताब्दी में जब सबसे पहली बॉल बनाई गई थी तो वह बिल्कुल गोल और चिकनी हुआ करती थी। 17वीं शताब्दी तक कई परिवर्तन हुए लेकिन बॉल हमेशा चिकनी रही। 18वीं शताब्दी में खिलाड़ियों ने पाया कि नई बॉल की तुलना में पुरानी बोल ज्यादा दूर तक और ज्यादा तेजी से जाती है।
थोड़ा और रिसर्च किया तो पता चला कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वॉल में कुछ डिंपल्स बन जाते हैं। बस तभी से गोल्फ की बॉल में डिंपल्स बनाए जाने लगे।