ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर हाईकोर्ट में दबोह थाना पुलिस की ओर से अपराधी को न्यायालय में पेश किए जाने के दौरान अपराधिक रिकॉर्ड छिपाए जाने के मामले में न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया ने भिण्ड एसपी शैलेंद्र सिंह के जवाब से असंतुष्ट होने के उपरांत डीजीपी सुधीर सक्सेना से हलफनामा मांगा था।
डीजीपी ने उच्च न्यायालय को सटीक जवाब देने के बजाए डीजीपी ने हलफनामे में उक्त मामले की जांच आइजी चंबल से कराने की बात कही है। डीजीपी ने हलफनामे में कहा है कि दबोह थाना अंतर्गत ग्राम पन्नापुरा निवासी आरोपी कुलदीप दोहरे पुत्र चेतराम दोहरे को पेश किए जाने के दौरान आपराधिक रिकॉर्ड किन परिस्थितियों में पेश नहीं किया गया इसकी जांच का आदेश दिया है।
इस मामले की जांच रिपोर्ट 10 दिन में पेश किए जाने के निर्देश भी दिए हैं। विदित हो कि दबोह थाने में आरोपी कुलदीप दोहरे के खिलाफ हत्या व हत्या के प्रयास जैसे अपराध के अलावा आधा दर्जन अपराध पंजीबद्ध हैं। बावजूद इसके आरोपी को न्यायालय में पेश किए जाने के दौरान उसका आपराधिक रिकॉर्ड पेश नहीं किया गया। ऐसे में न्यायामूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने इस मामले में भिण्ड एसपी शैलेंद्र सिंह चौहान के जवाब से अंसतुष्ट होने के बाद 30 जून को डीजीपी सुधीर सक्सेना से हलफनामा मांगा था।
न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया ने डीजीपी से मांगे हलफनामे में पूछा था कि आरोपी का अपराधिक रिकॉर्ड छिपाया जाने को छोटी सी लापरवाही कहा जा सकता है या यह न्याय व्यवस्था के साथ हस्तक्षेप है। इस पर डीजीपी ने जवाब में सिर्फ यह कहा कि पुलिस महानिरीक्षक, अपर पुलिस महानिदेशक चंबल अंचल को यह पता लगाने के लिए जांच करने को कहा है। साथ ही 10 दिन में जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए हैं।