ग्वालियर। आंतरी थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी शंभू सिंह चौहान को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई का आदेश दिया था। आरोप है कि उन्होंने निर्दोष लोगों को डकैत बताकर गिरफ्तार कर लिया और उनकी झूठी रिपोर्ट के कारण आरोपियों को 13 साल तक जेल में रहना पड़ा।
अधिवक्ता सर्वेश सिंह चौहान ने बताया कि वर्ष 2003 में बिलौआ थाना अंतर्गत जयशंकर का अपहरण हुआ था। पुलिस अधीक्षक से सूचना मिलने पर पकड़ को छुड़ाने के लिए दो पुलिस पार्टियां बनाई गईं। डकैतों की घेराबंदी कर पकड़ छुड़ा ली। डकैतों से जो गोलीबारी हुई, उसको लेकर आंतरी थाने में डकैतों के खिलाफ धारा 307 का केस दर्ज किया गया। एक एफआइआर बिलौआ थाने में की गई। इस केस के छह आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा हुई।
आरोपितों ने सजा के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। वर्ष 2017 में हाई कोर्ट ने अपील पर अंतिम सुनवाई की। हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद आरोपियों को निर्दोष घोषित किया। इसके साथ ही कहा कि पुलिस की झूठी रिपोर्ट के कारण निर्दोष लोगों को 13 साल तक जेल में रहना पड़ा, इसलिए इस मामले के गवाह एवं पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई की जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने इंस्पेक्टर संभू सिंह चौहान के पक्ष में प्रस्तुत की गई दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि मामला 2003 का है। अभियोजन का आदेश 2017 में दिया गया। याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर नहीं मिला। इसलिए हाईकोर्ट के आदेश के पालन पर रोक लगाई जाती है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने शासन को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।