ग्वालियर। महाराष्ट्र में तख्तापलट के बाद घटनाक्रम के केंद्र में रहे एकनाथ संभाजी शिंदे को मुख्यमंत्री का पद मिल गया। इसी के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में चर्चाएं शुरू हो गई थी, और चर्चाओं के खत्म होने से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया को भारी भरकम इस्पात मंत्रालय मिल गया। अब समीक्षा शुरू हो गई है कि इस्पात मंत्रालय मिलने से ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद बढ़ गया है या फिर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उनकी दावेदारी कमजोर हो गई है।
महाराष्ट्र के शिंदे के कारण मध्यप्रदेश के सिंधिया के बारे में क्या चर्चा हो रही थी
दोनों नेताओं ने अपनी पार्टी का तख्तापलट किया। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन की जबकि एकनाथ शिंदे ने भाजपा ज्वाइन नहीं की। इसके बावजूद शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बना दिया गया जबकि सिंधिया को विमानन मंत्रालय दिया गया जिसके पास अपना कोई विमान ही नहीं है।
चर्चा चल रही थी कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ अन्याय हो गया। कहा जा रहा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक नाराज हैं। वह अपने नेता श्रीमंत महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी संतुष्ट नहीं है। उन्हें लगता है कि सिंधिया को भी शिंदे की तरह मुख्यमंत्री पद की बात करनी चाहिए थी। जो हो गया सो हो गया लेकिन 2023 में सिंधिया को सीएम कैंडिडेट होना चाहिए।
आलोचकों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी को कमजोर करने के लिए इस्पात मंत्रालय दिया गया है।