ग्वालियर। नगर निगम महापौर चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को शर्मनाक शिकस्त का सामना करना पड़ा। कांग्रेस की शोभा सिकरवार ने भाजपा की सुमन शर्मा पराजित कर दिया। बात सिर्फ इतनी सी नहीं है बल्कि यहां से शुरू होती है। 57 साल के इतिहास में पहली बार ग्वालियर में भाजपा का महापौर नहीं होगा। यह काफी महत्वपूर्ण बात है। सवाल यह है कि लोग क्या कहेंगे। महाराज ने गद्दारी की या फिर महाराज को नजरअंदाज क्यों किया।
महाराज को नजरअंदाज करना भारी पड़ जाए
कह सकते हैं कि ग्वालियर ज्योतिरादित्य सिंधिया को नजरअंदाज करना भाजपा के लिए भारी पड़ गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सुमन शर्मा को टिकट देने से मना किया था। ग्वालियर महापौर की सीट बचाने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया सब कुछ छोड़ छाड़ कर अचानक मुंबई से भोपाल आ गए थे, लेकिन उनकी बात किसी ने नहीं सुनी। नतीजा सामने।
महाराज की गद्दारी के कारण भाजपा हारी
कहा तो यह भी जा सकता है कि टिकट वितरण में ज्योतिरादित्य सिंधिया की मर्जी नहीं चली इसलिए ग्वालियर में सिंधिया समर्थकों ने भारतीय जनता पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के लिए काम नहीं किया। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी ग्वालियर में वैसा जोर नहीं लगाया जैसा कि लगाना चाहिए। औपचारिकता के लिए उनके समर्थक विधायक एवं मंत्री प्रत्याशी के साथ जनसंपर्क करते दिखाई देते रहे। यदि सिंधिया अपना 100% योगदान देते तो ग्वालियर में भाजपा को हार का सामना नहीं करना पड़ता।
एक एंगल यह भी है
ग्वालियर के चुनाव परिणामों पर नजर डालें तो तीसरा एंगल में दिखाई देता है। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी रुचि गुप्ता का वोट शेयर काफी प्रभावशाली है। कहने की जरूरत नहीं कि जिस प्रकार सपा और बसपा के प्रत्याशी कांग्रेस का वोट बैंक कमजोर करते हैं ठीक उसी प्रकार आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी भाजपा का वोट बैंक कमजोर करते हैं। यदि मैदान में AAP ना होती तो भाजपा की जीत सुनिश्चित थी।