नई दिल्ली। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सभी निचली अदालतों को आदेशित किया है कि वह सीआरपीसी की धारा 41 एवं 41a का उल्लंघन करके मनमानी गिरफ्तारी करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी को इसलिए जमानत दे दी क्योंकि उसकी गिरफ्तारी के समय सीआरपीसी का उल्लंघन किया गया था।
सीआरपीसी का उल्लंघन होने पर आरोपी जमानत का हकदार
सत्येंद्र कुमार विरुद्ध सीबीआई मामले में भारत के उच्चतम न्यायालय के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि धारा 41 और 41a संविधान के अनुच्छेद 21 के ही पहलू हैं यदि गिरफ्तारी के समय सीआरपीसी का उल्लंघन किया गया तो आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का निचली अदालतों को निर्देश
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अदालतों से कहा है कि वह ऐसे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें जो किसी की गिरफ्तारी के समय सीआरपीसी की धारा 41 एवं 41a का अनुपालन नहीं करते हैं।
सीआरपीसी की धारा 41 क्या है
भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के अनुसार पुलिस के पास यह अधिकार हो जाता है, कि वह किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन बिना वारंट के गिरफ्तार करने के लिए उस व्यक्ति का जुर्म बहुत ही संगीन होना चाहिए, किसी मामूली से या छोटे मामले में पुलिस किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है।
सीआरपीसी की धारा 41A क्या है
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए के तहत पुलिस अधिकारी, थाने में दर्ज किसी भी मामले में संबंधित व्यक्ति को पूछताछ के लिए नोटिस भेजकर बुला सकता है। धारा 41-A CrPC के तहत नोटिस जारी करने के बाद, यदि पुलिस को लगता है कि आरोपी को गिरफ्तार किया जाना है, तो संबंधित मजिस्ट्रेट से अनुमति प्राप्त किए बिना, वे गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं।