इंदौर। जिला शिक्षा अधिकारी मंगलेश व्यास और इंदौर के 296 प्राइवेट स्कूल संचालकों की लड़ाई में लगभग 100000 विद्यार्थियों का साल खराब हो गया। उन्होंने प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन लिया था परंतु उन स्कूलों की मान्यता ही समाप्त हो गई। डीईओ का कहना है कि साल बचाना है तो बच्चों को सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेना पड़ेगा।
इंदौर के अखबारों में खबर प्रकाशित हुई है कि शहर के 296 प्राइवेट स्कूलों की मान्यता समाप्त हो गई जबकि स्कूल संचालकों की तरफ से कोई गलती नहीं की गई। मध्यप्रदेश में प्राइवेट स्कूलों की मान्यता संबंधी नियमों के अनुसार प्राइवेट स्कूलों का इंस्पेक्शन करके रिपोर्ट सौंपने का काम ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर का होता है। इंदौर में यह काम निर्धारित समय पर पूरा हुआ।
सभी बीईओ ने अपनी रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी को सौंप दी थी। जिला शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि वह रिपोर्ट मिलने के बाद या तो मान्यता जारी करें अथवा स्कूल की एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दे। इंदौर में जिला शिक्षा अधिकारी मंगलेश व्यास पर आरोप है कि उन्होंने ना तो स्कूलों को मान्यता दी और ना ही उनके मान्यता आवेदन को निरस्त किया।
इंदौर के जिला शिक्षा अधिकारी 296 प्राइवेट स्कूलों की मान्यता नवीनीकरण की फाइलों को दबाए हुए बैठे रहे। इधर शासन द्वारा निर्धारित मान्यता नवीनीकरण की लास्ट डेट निकल गई। इस प्रकार बिना किसी गलती के इंदौर के 296 प्राइवेट स्कूलों की मान्यता एक्सपायर हो गई।
स्कूल शिक्षा विभाग सबसे पहले विद्यार्थियों के प्रति जिम्मेदार है। इन स्कूलों में लगभग 100000 विद्यार्थी पढ़ते हैं। जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि अब कुछ नहीं हो सकता। इन स्कूलों के विद्यार्थियों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। यदि साल बचाना है तो सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करनी पड़ेगी।