इंदौर। महाराजा यशवंत राव होलकर की बेटी और दामाद के खिलाफ जारी हुए जांच के आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कर दिए गए हैं। यह जांच मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर आर्थिक अपराध शाखा द्वारा की जा रही थी।
मामला देवी अहिल्याबाई होल्कर चैरिटीज का है। इसके ट्रस्टी महाराजा यशवंत राव होलकर की बेटी और दामाद हैं। जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस अभय एस ओका, और जस्टिस सी.टी. रविकुमार की पीठ ने इस मामले में फैसला सुनाया। मामला 246 प्रॉपर्टी के मालिकाना हक का है। जो विवाद का विषय है। रजिस्ट्रार ऑफ पब्लिक ट्रस्ट्स का कहना है कि इन सभी संपत्तियों का मालिक मध्यप्रदेश शासन है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने रजिस्ट्रार ऑफ पब्लिक ट्रस्ट्स को रद्द कर दिया था। शिवराज सिंह सरकार द्वारा होलकर राजवंश के खिलाफ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में चैलेंज किया गया। अक्टूबर 2020 में संपत्तियों का स्वामित्व मध्यप्रदेश पर माना गया। इसी के साथ मध्य प्रदेश शासन की आर्थिक अपराध शाखा को संपत्तियों की बिक्री और उन पर हुए निर्माण कार्यों के बारे में जांच के लिए निर्देश दिए गए।
खासगी ट्रस्ट में इसी जांच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की। शीर्ष अदालत ने कहा, हम मानते हैं कि उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार की आर्थिक अपराध शाखा को जांच करने के लिए जारी किया गया निर्देश उचित नहीं था।
अपीलों को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए, यह माना गया कि ट्रस्ट 246 संपत्तियों का मालिक था, हालांकि मध्य प्रदेश लोक न्यास अधिनियम, 1951 की धारा 14 ट्रस्ट पर लागू होगी, जिसमें केवल यह कहा गया है कि सार्वजनिक ट्रस्ट की संपत्ति की बिक्री आदि के मामले में रजिस्ट्रार, पब्लिक ट्रस्ट की पूर्व अनुमति की आवश्यकता होगी।
पीठ ने अपने 71-पृष्ठ के फैसले में कहा, न्यासियों (ट्रस्टी) को आज से एक महीने की अवधि के भीतर आवश्यक आवेदन करके सार्वजनिक न्यास अधिनियम के तहत पंजीकृत खासगी ट्रस्ट प्राप्त करने का निर्देश दें। हम मानते हैं कि ट्रस्ट डीड की अनुसूची के भाग बी में वर्णित संपत्तियां, उक्त सार्वजनिक ट्रस्ट की संपत्तियां हैं। हालांकि लोक न्यास अधिनियम की धारा 14 का सहारा लेकर ही उक्त संपत्तियों का हस्तान्तरण किया जा सकता है।
शीर्ष अदालत ने रजिस्ट्रार, पब्लिक ट्रस्ट्स को यह पता लगाने के लिए ट्रस्ट द्वारा बेची गई संपत्तियों की बिक्री की नए सिरे से जांच करने का भी निर्देश दिया कि क्या ट्रस्टियों द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया के कारण, सार्वजनिक ट्रस्ट को कोई नुकसान तो नहीं हुआ है। अदालत ने इस संबंध में कोई भी गड़बड़ी पाए जाने पर आवश्यक कार्रवाई करने के लिए भी कहा है।
खासगी (देवी अहिल्याबाई होल्कर चैरिटीज) ट्रस्ट, इंदौर का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी, अमित देसाई ने किया। अधिवक्ता रूबी सिंह आहूजा के नेतृत्व में करंजावाला एंड कंपनी की टीम ने उनकी सहायता की।