कुछ लोग होते हैं जो स्वयं किसी चमत्कारी शक्ति का स्वामी घोषित कर देते हैं। बड़े-बड़े विज्ञापन द्वारा अपना प्रचार प्रसार करते हैं। किसी के टीवी पर प्रायोजित कार्यक्रम चलते हैं तो कोई यूट्यूब पर वीडियो जारी करता है। इस प्रकार के लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता में कड़ी कार्रवाई का प्रावधान है। पढ़िए एक महत्वपूर्ण जजमेंट:-
श्री बीएसवीवी विश्वेन्दधा महाराज बनाम आंध्र प्रदेश राज्य:-
उक्त वाद में आरोपी ने लोगों में यह प्रसारित किया कि उसे दिव्य शक्ति प्राप्त है। स्पर्श मात्र से वह किसी भी व्यक्ति के रोग को ठीक कर देती हैं। इस बात से प्रभावित होकर एक व्यक्ति ने अपनी पंद्रह वर्षीय गूंगी बच्ची को आरोपी महाराज के पास ले गया। आरोपी ने बच्ची के इलाज के बदले एक लाख रुपये मांगे जो दो किस्तों में देना था।
पीड़ित व्यक्ति ने प्रथम किस्त का भुगतान कर दिया था लेकिन बताई अवधि के दौरान बच्ची की आवाज में कोई सुधार नहीं हुआ वह गूंगी ही बनी रही। पीड़ित व्यक्ति ने आरोपी पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420 के अधीन परिभाषित धारा 415 सहित छल का परिवाद दायर किया एवं आरोपी को दोषसिद्धि कर दिया आरोपी की अपील के बाद आन्ध्र प्रदेश उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय ने भी निर्णय को सही माना।
विशेष नोट:- बहुत से ऐसे 'छल, मामले होते हैं जिसमे पुलिस थानों में FIR नहीं लिखते हैं एवं पुलिस द्वारा भी पीड़ित व्यक्ति को गुमराह किया जाता है। बोल दिया जाता है यह अपराध संज्ञेय नहीं है। ऐसे में आम व्यक्ति को कानून की जानकारी होना आवश्यक है अगर पुलिस FIR दर्ज नहीं करती है तो न्यायालय परिवाद दायर कर सकते हैं। यह नोट करना आवश्यक है कि आरोपी व्यक्ति दान में ₹100000 की मांग करें या फिर सिर्फ एक अगरबत्ती जलाने के लिए कहे, इससे केस मजबूत या कमजोर नहीं होता। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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