जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में मनमानी के आरोप पर जवाब-तलब कर लिया गया है। मामला MBBS सेकेंड ईयर की पूरक परीक्षा देने वाले छात्रों को तृतीय वर्ष की परीक्षा में शामिल न किए जाने के रवैये को चुनौती से संबंधित है।
हाई कोर्ट ने पूछा है कि परीक्षा में शामिल क्यों नहीं किया जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी के VC, सागर व रीवा मेडिकल कालेज के डीन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। विकास सिसोदिया, मनीष किरार व अन्य ने याचिका दायर कर बताया कि उन्होंने छह से 27 जून तक पूरक परीक्षा दी है। अभी उनके सेकेंड ईयर के प्रेक्टिकल एग्जाम जारी हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता वेद प्रकाश नेमा ने बताया कि विवि प्रशासन ने 16 जून को अधिसूचना जारी कर तृतीय वर्ष की परीक्षा की तिथि की घोषणा कर दी। इसके बाद 30 जून को अधिसूचना जारी कर पूरक छात्रों को थर्ड ईयर की परीक्षा में शामिल करने से अपात्र घोषित कर दिया। उन्होंने दलील दी कि मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया की स्पष्ट गाइडलाइन है कि परिणाम घोषित होने के छह से आठ सप्ताह में पूरक परीक्षा कराएं और उसके बाद 10 दिन में उसका रिजल्ट घोषित करें ताकि छात्र अगले सत्र की परीक्षा में शामिल हो सकें।
चूंकि इस गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है, अत: हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। बहस के दौरान तामम तर्क रखे गए। इनके जरिये यह साबित करने की कोशिश की गई कि मनमानी की जा रही है। इससे छात्रों का भविष्य खराब होने की हालत बन गई है। इस रवैये पर अंकुश लगना चाहिए। ऐसा न होने से छात्र हलकान हैं। वे दिन-रात आशंका से ग्रस्त हैं। उनका करियर बनने की आस टूटने की कगार पर पहुंच रही है।