MANIT BHOPAL हाईकोर्ट में हारा, कविता को नौकरी भी मिली और 7 साल का आधा वेतन भी

Bhopal Samachar
भोपाल
। Maulana Azad National Institute of Technology मैनेजमेंट का एक डिसीजन हाई कोर्ट में गलत साबित हुआ। 7 साल लंबी लड़ाई के बाद कविता डहरवाल के पक्ष में फैसला सुनाया गया। मैनिट भोपाल ने उन्हें व्याख्याता के पद से बर्खास्त कर दिया था। हाईकोर्ट ने ना केवल उन्हें उनकी नौकरी वापस दी बल्कि 7 साल का आधा वेतन देने का भी आदेश दिया। 

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 7 साल लंबी लड़ाई के बाद सरकारी नौकरी मिली

भोपाल की कविता डहरवाल की ओर से 2015 में यह याचिका दायर की गई। कोर्ट को बताया गया कि उसकी नियुक्ति 10 अगस्त, 2008 को मैनिट में व्याख्याता पद पर हुई।नियमानुसार उसके पास इस पद के लिए निर्धारित समस्त योग्यताएं थीं। इसके बावजूद 27 जून, 2011 को उसे एक शोकाज नोटिस जारी किया गया। इसमें कहा गया कि उसके पास निर्धारित योग्यता नहीं थी और तथ्य छिपाकर गलत तरीके से उसने नियुक्ति हासिल की। 

कविता ने बताया कि उन्होंने कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया लेकिन उनके जवाब पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। 5 मार्च 2015 को याचिकाकर्ता की नियुक्ति को निरस्त करते हुए, बर्खास्त कर दिया। लोढ़ा कमेटी और न्यायमूर्ति एमए सिद्दीकी कमेटी की जांच रिपोर्ट के हवाले से यह आदेश जारी किया गया। 

सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता को जिस योग्यता सूची का हवाला देकर बर्खास्त किया गया, वह 2002 में संशोधित हो चुकी थी। संशोधित योग्यता सूची के तहत सभी निर्धारित योग्यता याचिकाकर्ता के पास थी। लिहाजा बर्खास्तगी का उक्त आदेश गलत है। 

सरकार का पक्ष असिस्टेंट सालिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव ने रखा। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति नन्दिता दुबे की एकलपीठ ने डिसीजन सुनाया कि याचिकाकर्ता लेक्चरर पद के लिए निर्धारित योग्यता रखती थी, फिर भी उसे पुरानी योग्यता सूची के आधार पर बर्खास्त कर दिया गया। इसकी उसे सूचना भी नहीं दी गई। कोर्ट ने निर्देश दिए कि छह सप्ताह के अंदर याचिकाकर्ता को नौकरी पर वापस लिया जाए। उसे बर्खास्तगी की अवधि का आधा वेतन भी दिया जाए।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!