पति की जान बचाने पत्नी ने बैक्टीरिया खाने वाला वायरस बनाया- motivational story in hindi

Bhopal Samachar
सत्यवान् सावित्री की कहानी तो आप सबने सुनी ही होगी। सावित्री ने सत्यवान् के प्राणों की रक्षा की परंतु ये तो कहानी की बात है लेकिन अमेरिका के वाशिंगटन में एक ऐसी सच्ची घटना सामने आयी जिसमे एक पत्नी ने न सिर्फ अपने पति की जान बचाई बल्कि दुनिया के लिए एक ऐसा नया आविष्कार भी कर दिया।

ये घटना है फरवरी 2016 की जब अमेरिका की महामारी विशेषज्ञ स्टेफनी स्ट्रैथ्डी के पति टॉम पैटरसन वाटसन सुपरबग से पीड़ित हो गए थे। तमाम तरह के इलाज के बाद भी जब डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए। तब खुद स्टेफनी ने अपने पति को बचाने के लिए एक चौंकाने वाला निर्णय लिया है। क्योंकि वे खुद महामारी विशेषज्ञ थी। इसलिए उन्होंने अपने पति को मेडिसिन्स के जरिये नहीं बल्कि खुद नेचुरल वायरस बनाकर बचाया। 

इसके लिए उन्होंने डॉक्टरों की एक टीम बनाई और सुपर बॉक्स के बैक्टीरिया को खाने वाला नैचुरल वायरस बनाना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने हर खराब चीज़ जैसे -सीवेज, दलदल, तालाब की सड़ी हुई लकड़ी, मैदान और घास के ढेर से वायरस एकत्रित किए और इन सभी वायरस का कॉकटेल बनाकर उन्होंने अपने पति को इंजेक्ट कर दिया। इसके तीन सप्ताह बाद ही टॉम की स्थिति में सुधार होने लगा और टॉम पूरी तरह से ठीक हो गए।

परंतु इस घटना से एक ऐसा आविष्कार हुआ घटना है जिससे हर साल SUPERBUGS के कारण जान गवाने वाले लगभग 7,00,000 लोगों को बचाया जा सकता है। गौरतलब है कि इंग्लैंड सरकार के एक कमीशन ने अनुमान लगाया है कि साल 2050 तक सुपरबग्स के कारण 1,00,00,000 लोगों की जान जा सकती है। यानी हर तीन सेकंड में एक व्यक्ति की मौत हो सकती है परंतु इस कॉकटेल के आविष्कार से इन मौतों को रोका जा सकता है।

बैक्टीरिया को खाने वाला वायरस- इराकीबैक्टर क्या है - What is IRAQIBACTOR

इस कॉकटेल का नाम है "इराकीबैक्टर" क्योंकि इस कॉकटेल को बनाने का आइडिया स्टेफनी को मिडल ईस्ट के इराक से ही आया था, इस कारण इसका नाम इराकीबैक्टर रखा गया है। उल्लेखनीय है कि इराक युद्ध के दौरान सड़क के किनारे बमों की चपेट में आए अमरीकी सैनिकों के घावों में भी घाव में वायरस छोड़ा गया था, जिसके कारण उनकी स्थिति ठीक होने लगी। इसी घटना से प्रेरित होकर स्टेफनी को। इराकीबैक्टर नामक कॉकटेल बनाने का आइडिया आया था।

दरअसल जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, पैरासाइट आदि बिमारी उत्पन्न करने वाले पैथोजन्स समय के साथ बदलते रहते हैं या Mutate होते हैं तो उन पर दवाओं का असर नहीं होता जिसके कारण एंटीमाइक्रोबियल- रजिस्टेंस(AMR) पैदा होता है। ऐसे समय में संक्रमण का इलाज करना काफी मुश्किल हो जाता है। इसलिए सुपरबग को  एंटीमाइक्रोबियल- रेसिस्टेंट बैक्टीरिया भी कहते हैं। जो की सुपरबग के रेसिस्टेंट को खत्म करता है। अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने भी इस कॉकटेल के लिए मंजूरी दे दी है। वहीं आगामी खतरे को देखते हुए एंटीबायोटिक बनाने में मदद भी मांगी है।

Moral of the story 

इस समाचार एवं कहानी से यह मैसेज बिल्कुल क्लियर हो जाता है कि जब आप विषम परिस्थितियों से जूझने के लिए अपना 100% लगा देते हैं तो प्रकृति ना केवल आपका साथ देती है बल्कि आपको समाज का एक ऐसा व्यक्ति बना देती है जो समाज के लिए एक प्रेरणा होता है। 

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